देहरादून। कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े रायपुर थानो मार्ग के बड़ासी पुल की एप्रोच रोड को लेकर अब एक बार फिर से कार्यवाही और जांच का खेल शुरू हो गया है। जहां से रोड टूटी है उसके हाल देख कर साफ हो रहा है कि निर्माण कार्य में किस कदर लापरवाही बरती गई है। जो एक हल्की सी बारिश में ही पुल की दीवार धंस गई। इस तरह से आम जनता की जान से खिलवाड़ किया गया है लेकिन सरकार ने अब तक इस मामले में कोई कार्यवाही करने की बजाय इसकी जांच की बात कह दी है। वहीं दूसरी ओर भोपालपानी जाने वाले मार्ग पर बने पुल पर इसी तरह का खतरा बना हुआ है लेकिन विभाग ने वहां पर खानापूर्ति करने के लिए पैचवर्क करवा कर अपनी जिम्मेदारी की खानापूर्ति कर दी है।
बीती रात बड़ासी पुल के धंसने के बाद से वहां पर पुलिस तैनात है और भारी वाहनों आवाजाही भी रोक दी गई है। जबकि हल्के वाहनों की पुल से आवाजाही हो रही है। अब वहां पर जांच की कार्यवाही हो रही है जबकि निर्माण के समय से ही यह पुल विवादित रहा है। इसके डिजाइन को लेकर पहले भी सवाल उठाये गये थे तो वहीं वर्ष 2018 में पुल की दीवार में दरारें आ गई थी। उस दौरान चार इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई हुई थी लेकिन इस समय तो जांच शुरू कर दी गई है। इस जांच की रिपोर्ट भी जब तक आएगी तब तक लोग इसे भूल जाएंगे। फिर न तो सरकार से जनता पूछेगी कि इस मामले में क्या कार्यवाही की गई न ही विपक्ष को यह मुद्दा याद रहेगा क्योंकि इससे उनको कोई राजनैतिक फायदा नहीं होने वाला है।
वहीं भोपालपानी का पुल भी हादसे को दावत देने के इंतजार में है। इस पुल की दीवार पर बड़ासी पुल जैसे हालात दिख रहे थे लेकिन स्थानीय लोगों अनुसार जिस स्थान पर पहले रोड धंसी थी और अब एक बार फिर से धंसने की कगार पर भी विभाग ने वहां पैचवर्क करवा दिया है। जिससे कि रोड को धंसने से रोका जा सके। अभी बरसात शुरू भी नहीं हुई है और महत्वपूर्ण स्थानों पर बने यह पुलिस टूटने लगे हैं जिससे यह साफ होता है कि सिस्टम में भ्रष्टाचार किस कदर हावी है कि उन्हें पब्लिक की जान की चिंता ही नहीं है। बरसात के समय यह पुल पूरा ही बैठ जाएगा। तब यहां से नदियों को पार करने के लिए लोगों के पास क्या साधन रहेगा इसके लिए विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही भी तय होनी चाहिए।
इस प्रकरण में अब सवाल यही उठता है कि बार—बार एक ही पुल पर लापरवाही उजागर होने के बाद भी सरकार की ओर से सख्त कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है। या फिर यही समझा जाए कि भ्रष्टाचार करने वालों को बचाने की कोशिश की जा रही है।