देहरादून। दून अस्तपताल का हाल जितना बयां किया जाए वह बेहद कम ही साबित होता है। अस्पताल में जा कर ठीक होने से ज्यादा तो बीमार होने के हालात नजर आते हैं। अव्यवस्थाएं तो लोगों के सर पर नाचती नजर आती हैं और उस पर कोविड गाइडलाइन की धज्जियां भी अस्पताल में जमकर उड़ाई जा रही है।
दून अस्पताल में पंजीकरण का समय 12 बजे तक कर दिया गया है इसके बावजूद कुछ चिकित्सक अपने विभाग की पर्चियां बनवाने के लिए साढ़े दस या ग्यारह बजे ही आदेश कर रहे हैं। ऐसा ही नजारा आज दून अस्पताल की नई ओपीडी में दिखा। जहां पंजीकरण के लिए लंबी लाइन लगी हुई थी। लाइन में लोग धीरे—धीरे सरक रहे थे कि तभी पौने ग्यारह के आसपास वहां ड्यूटी पर मौजूद गार्ड ने घोषणा कर दी कि स्किन संबंधी बीमारी वालों के पर्चे अब नहीं बनेंगे। जो भी मरीज स्किन के डॉक्टर को दिखाने के लिए आए हैं वे वापस जाएं और कल आएं। इस घोषणा के बाद भी मरीज इस उम्मीद में लाइन में लगे रहे कि कल के लिए आज ही पर्चा बनवा लें तो कल आ कर लाइन में नहीं लगना पड़ेगा। लेकिन इन लोगों को वापस ही लौटना पड़ा।
ऐसे में सवाल यही उठता है कि जो लोग वहां आएं हैं वो कितनी दूर से, कितनी मुश्किल अस्पताल तक आए होंगे। बस, विक्रम या ऑटो में आने वालों का किराया ही इतना लग जाता है लेकिन डॉक्टरों का मन हुआ कि अधिक मरीज नहीं देखने हैं तो बस अपने कमरे से आदेश करवा दिया फिर चाहे मरीज को कितनी भी परेशानी होती रहे लेकिन डॉक्टर सीमित मरीज ही देखेंगे।
उस पर आलम यह अस्पताल में लाइन में लगे हैं तो सोशल डिस्टेंसिंग भूल ही जाइये। लाइन में लगे लोग एकदूसरे से इस तरह से सट कर खड़े थे कि बीच में कोई घुस कर कोई उनका नंबर पीछे न कर दे। वहां मौजूद गार्ड बार—बार आ कर लोगों को दूर—दूर खड़े होने को कहते रहे लेकिन कोई सुनने का तैयार नहीं था। ऐसा ही हाल एएनसी के बाहर का था जहां लाइन में लगी महिलाएं तो टस से मस होने को तैयार नहीं थीं। अस्पताल में इस तरह का नजारा आम बात है। जब स्वास्थ्य विभाग ही कोविड गाइडलाइन का पालन नहीं करवा पा रहा है तो अन्य विभागों से क्या उम्मीद की जा सकती है।