नागपुर व दिल्ली में तय हुआ यूसीसी का मसौदाः कांग्रेस

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  • प्रवर समिति को सौंपने की सलाह
  • चर्चा जारी, आज भी हो सकता है बिल पारित

देहरादून। विधानसभा सत्र के तीसरे दिन आज सदन में यूसीसी बिल पर चर्चा की गई। कांग्रेसी विधायकों द्वारा इस बिल पर चर्चा के दौरान कई मुद्दों पर सवाल उठाते हुए सरकार से कहा कि हम यूसीसी का विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन इस महत्वपूर्ण और बड़े बिल पर जल्दबाजी में कोई फैसला लेने से पहले इस पर चर्चा के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। कांग्रेस विधायकों ने इस बिल को प्रवर समिति को सौंपने की मांग की।
कांग्रेस विधायक शहजाद ने कहा कि इस बिल में कई मुद्दे ऐसे हैं जिन पर धर्म गुरुओं की राय लिया जाना जरूरी थी लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया है। उन्होंने कहा कि लिव इन से जुड़े तमाम मुद्दों पर लोगों की अलग—अलग राय है। उन्होंने कहा कि धर्म के नाम पर कोई छेड़छाड़ उचित नहीं है न ही किसी समुदाय विशेष के आंतरिक मामलों में उसे दखल देना चाहिए। कांग्रेस विधायकों का कहना था कि यह लिव इन पर जो कानून बना है वह राज्य की सीमाओं में तो लागू होगा और राज्य का सीमा से बाहर जाकर अगर उत्तराखंड का कोई लड़का या लड़की लिव इन में रहते हैं तो उस पर यह कानून लागू नहीं होगा फिर यह क्या समान कानून है।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अगर समान नागरिकता संहिता को लागू किया जाना है तो केंद्रीय स्तर पर किया जाना चाहिए यह किसी प्रदेश विशेष का मुद्दा नहीं है। इसका कोई लाभ तभी हो सकता है कि जब इसे पूरे देश में एक साथ लागू किया जाए। कांग्रेस के विधायकों ने कहा कि इसे जल्दबाजी में लाये जाने के पीछे सरकार की मंशा ठीक नहीं है। यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य तो बन जाएगा लेकिन कल इसके कारण बड़ी समस्याएं पैदा होती है तो उसके लिए उत्तराखंड ही जिम्मेदार होगा। कांग्रेस नेताओं ने इस पर चर्चा करते हुए कहा कि यह नागपुर और दिल्ली का मसौदा है जिसका मंचन उत्तराखंड में किया जा रहा है।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि भाजपा इस बिल का चुनावी लाभ उठाना चाहती है जिसके कारण इसे लाने में जल्दबाजी की जा रही है। जो उचित नहीं है समाचार लिखे जाने तक चर्चा जारी थी सरकार का प्रयास है कि यह बिल आज ही पारित करा लिया जाए। हालांकि अभी कल एक दिन का समय और सरकार के पास है तथा उसके पास इसे पारित कराने के लिए पर्याप्त संख्या बल भी है।

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