लड़ाई अब स्थाई राजधानी पर आई

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स्थाई राजधानी गैरसैंण से कम कुछ भी मंजूर नहींः कांग्रेस

ग्रीष्मकालीन राजधानी महज औपचारिकता

देहरादून/गैरसैण। भले ही सूबे की सरकार अब तीन साल बाद गैरसैंण में बजट सत्र का आयोजन कर रही हो और गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर चुकी हो लेकिन उत्तराखंड की राजधानी की लड़ाई अब स्थाई राजधानी पर आ गई है, गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित करने की मांग को लेकर जहां कांग्रेस सरकार के खिलाफ हल्ला बोल रही है, वही यूकेडी का भी कहना है कि भाजपा व कांग्रेस दो दशक से राजनीति कर रहे हैं अब यह ड्रामा बंद होना चाहिए और गैरसैंण को राज्य की स्थाई राजधानी घोषित किया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है तीन साल पहले पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बजट सत्र के दौरान गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा सदन में की थी लेकिन उनकी इस घोषणा के बाद 3 साल तक न तो यहां कोई सत्र ही आयोजित किया गया और न कोई विस्थापन कार्य ही कराया गया है। कांग्रेसी विधायकों का कहना है कि जब भाजपा ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर दिया था तो सरकार साल के 6 महीने गैरसैंण में क्यों नहीं बैठ रही है क्या सिर्फ साल 2 साल में यहां एक चार—छह दिन का सत्र बुलाना ही काफी है। उनका कहना है कि या तो सरकार गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित करें वरना कांग्रेस इसके लिए अविराम आंदोलन चलाएगी। कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि अब उसे स्थाई राजधानी गैरसैंण से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।
2013 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा गैरसैंण में विधानभवन का शिलान्यास किया गया था तथा 2014 में यह पहला विधानसभा सत्र आयोजित किया गया था तब से लेकर अब तक यहां जितने भी सत्र आयोजित किए गए हैं वह औपचारिक ही रहे हैं तथा इन सत्रों का समापन समय पूर्व ही होता रहा है। यहां बैक डोर भर्तियां तो की गई लेकिन विधानभवन में ताले ही लटके रहते हैं सिर्फ सत्र के दौरान ही यहंा कुछ सरगर्मी दिखाई देती है। दो दशक बाद भी राज्य की राजधानी के मुद्दे पर सिर्फ राजनीति ही होती आई है अब कांग्रेस ने अपने अन्य सभी मुद्दों में इस मुद्दे को सबसे प्रमुख मुद्दा बना दिया है।
उधर यूकेडी का कहना है कि राजधानी के नाम पर भाजपा व कांग्रेस राज्य के लोगों को धोखा देते रहे हैं तथा जनता की कमाई के करोड़ों रुपए ठिकाने लगा चुके हैं। यूकेडी की मांग है कि अब यह तमाशा बंद होना चाहिए और गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित किया जाना चाहिए।

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