दो हजार के नोट ने पत्रकारों को बनाया खिल्ली का पात्र

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लोकतंत्र के रखवालों के ज्ञान पर हंस रहा है हर कोई

देहरादून। धन्य है हमारे देश का लोकतंत्र और इस लोकतंत्र का चौथा स्तंभ जिसे प्रेस कहा जाता है। प्रेस और पत्रकार स्वतंत्रता की इस अमृतवेला में क्या से क्या हो गए और उनका ज्ञान तो बस पूछिए ही नहीं क्योंकि यही वह पत्रकार है जो देश की राजनीति और समाज को नई दिशा और दशा देने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाए हुए हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक वीडियो क्लिप जिसे देख कर कोई भी दांतो तले उंगली दबा लेगा और इन पत्रकारों के ज्ञान पर हैरान हो जाएगा। हमारा इस देश व प्रदेश के लोगों से अनुरोध है की पत्रकारिता और प्रेस का मखौल बनाने वाले इन पत्रकारों की हकीकत जानने के लिए आप सभी इस वीडियो को जरूर देखें जो अपने ज्ञान से अपनी खुद ही खिल्ली उड़वा रहे हैं।


इस वीडियो में उस समय के इनके वक्तव्य दिखाए गए हैं जब मोदी सरकार द्वारा 2016 में नोटबंदी की गई थी और पचास, सौ, दो सौ तथा पांच सौ व दो हजार के नए नोट लांच किए गए थे। यह वही दो हजार का गुलाबी नोट है जिसे 2016 में मोदी सरकार ने लांच किया था। सरकार की नोटबंदी को काले धन पर रोक को लेकर प्रचार करने और इन नए नोटों की तारीफ में कसीदे पढ़ने का ठेका इन पत्रकारों को दिया गया था। आम आदमी जब इन नए नोटों की गुणवत्ता पर सवाल उठा रहा था और इन्हें चूरन वाले नोट बता रहा था तब यही टीवी चैनलों के पत्रकार इन्हें हाईली सिक्योर बताते हुए कोई इनमें जीपीएस चिप लगे होने का दावा कर रहा था तथा कोई इनके 120 मीटर नीचे मिटृी में दबे होने पर इनकी जानकारी आईटी विभाग को लगने की गारंटी दे रहा था कि इसमें ऐसा अलार्म सिस्टम है जो घंटी बजा कर बता देगा कि मैं यहां छिपा रखा हूं। किसी का कहना था कि अगर फ्रीजर में इस दो हजार के नोट को रख दिया तो यह चिप उगलने लगेगा।
अब इन नोटों को आरबीआई ने चलन से बाहर करने का फैसला लिया है तो यह दो हजार के नोट पर ज्ञान बांटने वाले पत्रकार किस तरह हंसी का पात्र बन रहे हैं यह बात इस वीडियो क्लिप को देख कर खुद ब खुद आपकी समझ में आ जाएगी। साथ ही यह भी समझ में आ जाएगा कि इन दिनों हमारा नामचीन मीडिया और टीवी चैनल तथा इनके पत्रकार लोकतंत्र की हिफाजत कैसे कर रहे हैं?

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