बादल और कोहरे से विजिमिलिटी जीरो
रेस्क्यू व राहत सामग्री पहुंचाने में बाधा
देहरादून। आसमानी आफत के जख्मों को भरने में जुटे शासन—प्रशासन की राह में मौसम एक बार फिर खलनायक बना हुआ है। राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में छाए घने कोहरे और बादलों के कारण बचाव व राहत कार्य नहीं हो पा रहे हैं। शुन्य बिजिविलिटी के कारण आज बचाव और राहत कार्यों में लगे हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर सके जिसके कारण आपदा प्रभावितों की मुश्किलें और अधिक बढ़ गई हैं।
उत्तराखंड में बचाव और राहत कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। कल एनडीआरएफ और एसडीआरएफ ने राज्य के पिडारी व कफनी ग्लेशियर सहित अनेक क्षेत्रों में फंसे 57 लोगों को रेस्क्यू करने में सफलता हासिल की थी लेकिन बीते कल की तरह आज भी कपकोट के सुंदर डूंगा में फंसे 6 पर्यटकों को रेस्क्यू करने में बचाव और राहत दल सफल नहीं हो सका। सेना के दो हेलीकॉप्टरों ने इन सैलानियों के रेस्क्यू के लिए कपकोट से दो बार उड़ान भरी लेकिन वह ग्लेशियर तक नहीं पहुंच सके। घने बादल और कोहरे के कारण उन्हें आधे रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा।
उधर आज हल्द्वानी से आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने के लिए भी हेलीकॉप्टरों ने कई प्रयास किए लेकिन वह सफल नहीं हो सके। राज्य के सीमावर्ती जनपदों में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सड़के बंद होने के कारण जरूरी सामान नहीं पहुंच पा रहा है। वही आपदा प्रभावित लोगों तक दूध पानी और दवाएं आदि राहत सामग्री भी नहीं पहुंच पा रही है। जिन लोगों के इस आपदा में फंसे होने की खबरें हैं उन तक मदद नहीं मिल पा रही है। इस मदद में जितनी अधिक देरी होगी जान का संकट और अधिक बढ़ता जाएगा। राज्य में अब तक इस आसमानी आफत से 77 लोग मारे जा चुके हैं। जबकि सैकड़ों घर जमींदोज हो चुके हैं। बेघर हुए लोगों को तत्काल मदद की चुनौती सरकार के सामने हैं। राज्य में सबसे बड़ी समस्या सड़कों के बाधित होने से हो रही है अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिलों में जरूरी सामान की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। जिससे आम आदमी की दिक्कतें बढ़ती ही जा रही है मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद भी इन सड़कों को खुलने में अभी कई दिन का समय लग सकता है।