गरीबों को मार डालेगी महंगाई

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जिस बढ़ती महंगाई ने देश के आम और गरीब लोगों का जीना दूभर कर रखा है उसे लेकर सरकारों और राजनीतिक दलों की उदासीनता हैरान करने वाली है। हास्यापद बात यह है कि देश के प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत की बात करते नहीं थक रहे हैं जबकि देश भूख सूचकांक में पाकिस्तान नेपाल और बांग्लादेश को भी पीछे छोड़ चुका है। देश में पेट्रोल डीजल और रसोई गैस की कीमतों ने अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। सत्ता में बैठे लोग पेट्रोल और डीजल पर भारी भरकम टैक्स वसूली को ही अपनी आय का जरिया मान बैठे हैं उनकी सोच है कि विकास कार्यों को जारी रखने के लिए यह जरूरी है। उनकी बात और तर्क को अगर सही भी मान लिया जाए तो क्या यह विकास देश के उन 15 करोड़ लोगों की जान की कीमत पर किया जाना चाहिए जिनकी प्रतिदिन की आय (दो डालर) डेढ़ सौ रूपये से भी कम है। गरीबी रेखा के नीचे जीने वाले यह लोग भला कैसे 80 रूपये किलो की गोभी और 70 रूपये किलो का टमाटर प्याज खा सकते हैं? कैसे यह गरीब लोग दो सौ रूपये लीटर का खाघ तेल और तीस रूपये प्रति किलो का आटा और सौ— डेढ़ सौ रूपये प्रति किलो की दालें खा सकते हैं? खास बात यह है कि वह किसान जो अब यंत्र आधारित कृषि पर निर्भर है अपने ट्रैक्टर के लिए 90—95 रूपये प्रति लीटर का डीजल खरीद कर अपनी खेती को लाभकारी बना सकता है? पीएम मोदी सालों से किसानों की आय दोगुना करने की बात कह रहे हैं क्या उन्हें पता है कि एक छोटे और मध्यम वर्ग के किसान की मासिक आय सिर्फ तीन साढ़े तीन हजार रूपये है क्या उन्हें इस बात की जानकारी है कि 70 रूपये किलो बिकने वाले टमाटर और 80 रूपये किलो बिकने वाले गोभी का उस किसान को क्या मिल रहा है जो इसे खून पसीना बहाकर पैदा कर रहा है। उसे इसकी कीमत सिर्फ 10—12 रूपये प्रति किलो ही मिल रही है। आलू जो बाजार में 50 रूपये किलो तक बिका किसान को उसका मूल्य सिर्फ दो और तीन रूपये ही मिल सका। क्या इसी तरह देश के किसान की आय दोगुना हो जाएगी। सत्ता में बैठे लोगों की सोच है कि वह किसान को जो 500 रूपये महीने की सम्मान निधि दे रहे हैं उनसे देश के किसानों की आर्थिक स्थिति सुधर जाएगी तथा देश के 80 करोड लोगों को जो पांच—पांच किलो मुफ्त राशन दे रहे हैं उससे भुखमरी खत्म हो जाएगी। नारों और शगुफों से देश भले ही आत्मनिर्भर न बने और किसानों की आय भले ही दोगुनी न हो लेकिन सत्ता में बैठे लोगों का तुष्टीकरण जरूर हो रहा है। देश में गरीबों की संख्या जरूर बढ़ रही है सामाजिक असंतुलन जरूर बढ़ रहा है जिसका दूरगामी परिणाम अच्छा नहीं हो सकता है। भारत आत्मनिर्भर बनेगा या नहीं यह अलग बात है लेकिन बढ़ती महंगाई देश के गरीबों को जरूर मार डालेगी।

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