चेन्न्ई। महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के बाद प्रधानमंत्री आज तमिलनाडु पहुंचे और यहां उन्होंने श्रीरंगम में श्रीरंगनाथ स्वामी मंदिर में पूजा की और गजराज के आशीर्वाद लिये। तमिलनाडु का श्रीरंगनाथ स्वामी मंदिर एक पौराणिक मंदिर है, इस मंदिर का श्रीराम की कथा से गहरा नाता है। पौराणिक मान्यता है कि श्रीरंगम में पूजे जाने वाले देवता श्रीरंगनाथ स्वामी भगवान विष्णु का ही एक रूप हैं। इस पौराणिक महत्व के मंदिर की अपनी एक अलग कहानी है। बताया जाता है कि श्रीरंगम में जो मूर्ति है उसकी पूजा मूल रूप से श्रीराम और उनके पूर्वजों ने की थी। कथा है कि इसे ब्रह्मा ने श्रीराम के पूर्वजों को दिया था। वे इस मूर्ति को अयोध्या में अपने साथ रखते थे और रोजाना पूजा करते थे। एक बार जब विभीषण ने श्रीराम से अनमोल उपहार मांगा तो उन्होंने यह मूर्ति विभीषण को दे दी और इसकी पूजा करने को कहा। जब विभीषण लंका की ओर जा रहे थे तो रास्ते में यह मूर्ति श्रीरंगम में स्थापित की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीरंगम मंदिर में कंब रामायण की चौपाइयां भी सुनीं। रामायण धार्मिक महत्व का एक राष्ट्रीय महाकाव्य है। कई भारतीय भाषाओं में इसकी कथाएं कही गई हैं। कंब रामायण रामकथा के पुराने संस्करणों में से एक है। इसकी रचना 12वीं शताब्दी में महान तमिल कवि कंबन ने की थी।
पीएम आज जिस मंदिर में गए उसका कंब रामायण से गहरा संबंध है। इसी मंदिर में कंबन ने पहली बार अपनी रामायण सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत की थी और श्रद्धालुओं का दिल जीता था। आज भी मंदिर में एक मंच/मंतप है जिसे कम्ब रामायण मंतपम कहा जाता है। पीएम भी उसी स्थान पर बैठे। इस दौरान श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर के पीठासीन देवता की ओर से पीएम मोदी को अयोध्या के राम मंदिर में ले जाने के लिए अनुष्ठान के उपहार स्वरूप साड़ियां भी दी गईं।