लेह। दुनिया के 7 अलग-अलग देशों के 120 से अधिक धावकों ने मंगलवार को दुनिया की सबसे ऊंची जमी हुई झील मैराथन – पैंगोंग फ्रोजन लेक मैराथन के दूसरे संस्करण में भाग लिया। प्रतिभागियों ने दौड़ की दो श्रेणियों -21 किमी और 10 किमी में भाग लिया। इसका आयोजन लद्दाख के एडवेंचर स्पोर्ट्स फाउंडेशन द्वारा केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन और 14 कोर भारतीय सेना के सहयोग से किया गया था। खेल सचिव लद्दाख रविंदर कुमार इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। उनके साथ चुशुल निर्वाचन क्षेत्र के पार्षद कोंचोक स्टैनजिन भी थे। इस दौड़ के पीछे मुख्य उद्देश्य तेजी से पिघल रहे हिमालय के ग्लेशियरों के बारे में जागरूकता फैलाना है। इस मैराथन को थिएस्ट्रन टाइटल दिया गया, जिसका अर्थ है कि ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव के कारण जमी हुई पैंगोंग झील पर यह आखिरी दौड़ हो सकती है। साथ ही इसके माध्यम से चांगथांग जैसी जगहों पर शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देना है।
दरअसल यह पहली बार था कि पैंगांग झील पूरी तरह से जम नहीं पाई थी जिसके बावजूद इस पर मैराथन का खतरा मोल लिया गया। सच में आप इस खबर मात्र से ही रोमांच से भर सकते हैं कि कैसे 120 लोगों ने करीब 14500 फुट की ऊंचाई पर स्थित इस झील पर दौड़ लगाई होगी। यह झील फिलहाल शून्य ये 25 डिग्री नीचे के तापमान के कारण कुछ ही जगहों पर इस बार जम पाई थी। हालांकि चिंता इस बात की व्यक्त की जा रही है कि यह मैराथन इस झील पर आखिरी हो सकती है क्योंकि आशंका है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण आने वाले सालों में यह शायद ही पुनः जम पाए।