पाक सुप्रीम कोर्ट ने माना पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो मामले में नहीं हुई निष्पक्ष सुनवाई

0
117


कराची। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा है, कि पूर्व प्रधान मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को 1979 में सैन्य तानाशाह जनरल जिया-उल के शासन के दौरान सुप्रीम कोर्ट में निष्पक्ष सुनवाई नहीं हुई थी। पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने भुट्टो को फांसी की सजा मिलने के करीब 45 सालों के बाद कहा है, कि उस वक्त सुप्रीम कोर्ट की सात-न्यायाधीशों की पीठ ने भुट्टो की मौत की सजा सुनाए जाने पर निष्पक्ष सुनवाई और उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया था। मार्च 1979 में, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने चार-तीन के खंडित फैसले में, पूर्व प्रधान मंत्री भुट्टो को मौत की सजा देने के लाहौर हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और जुल्फिकार अली भुट्टो को रावलपिंडी में फांसी दे दी गई। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने 2 अप्रैल 2011 को मौत की सजा पर फिर से विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसपर पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने अब अपना फैसला सुनाया है। हालांकि, भुट्टो को अब जिंदा नहीं किया जा सकता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने एक बार फिर से साबित कर दिया है, कि पाकिस्तान में सैन्य तानाशाहों ने किस तरह से नागरिक सरकारों को तोड़ने और राजनीतिक शख्सियतों को सूली पर लटकाने का काम किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कि लाहौर हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 4 और 9 में निहित निष्पक्ष सुनवाई और उचित प्रक्रिया के मौलिक अधिकार की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here