नशावृत्ति पर लगाम कसना पुलिस के लिए गम्भीर चुनौती

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पुलिस के आला अधिकारी भले ही राज्य में नशे की प्रवृत्ति को शून्य स्तर पर लाने के लगातार प्रयास कर रहे हों लेकिन क्या सूबे में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति को सिर्फ ऐसे रोक पाना संभव है? अगर आंकड़ों की बात करें तो सूबे के 70 फीसदी युवा और बच्चे किसी न किसी तरह के नशे के आदी हैं। खास बात यह है कि वर्तमान दौर में जिस तरह के नशे का इस्तेमाल किया जा रहा है उसे समझ पाना या पकड़ पाना अभिभावकों के लिए संभव ही नहीं है। कई तरह के इंजेक्शन और गोलियों का उपयोग नशे के लिए किया जा रहा है। कई तरह के द्रव्यों को सूंघकर नशा किया जा रहा है। खास बात यह है कि इस नशे के शिकार स्कूली बच्चे और युवा हो रहे हैं। जिनकी आयु 12 से 25 के बीच है। वर्तमान समय में कई तरह के नशे भी प्रचलन में आ चुके हैं जो एक दो बार के इस्तेमाल से ही किसी को भी आदी बना देते हैं। नशे के अवैध कारोबार करने वालों ने शिक्षण संस्थाओं को अपना आसान टारगेट बना दिए जाने से स्थिति और भी खतरनाक हो गई है। बच्चों और युवाओं की जिंदगी और उनके कैरियर को नशे की प्रवृति चौपट कर रही है। हालांकि राजधानी दून के पुलिस अधिकारी नशा वृत्ति पर अपनी चिंता जता रहे हैं खास बात यह है कि नशे की इस कारोबार का हिस्सा वह युवा भी बन चुके हैं जो खुद नशे के चंगुल में फंस चुके हैं। अपनी नशे की लत को पूरा करने के लिए वह खुद नशा तस्करी भी करने लगे हैं साथ ही कई अपराधों को भी अंजाम दे रहे हैं। जहां तक पुलिस कार्रवाई की बात है तो वह नशा तस्करों पर गाहे—बगाहे ही कार्रवाई करती है। सच यह है कि पुलिस द्वारा जितने मामले पकड़े जाते हैं उससे कई गुना ऐसे होते हैं जो पुलिस की पकड़ में नहीं आ पाते। नशा एक ऐसी बुराई है जो अन्य कई तरह के अपराधों की जननी है। नशे के आदि लोगों का स्नायु तंत्र अपना काम करना बंद कर देता है। जिसके कारण उनमें अच्छा बुरा सोचने समझने की ताकत खत्म हो जाती है ऐसी स्थिति में वह कुछ भी कर सकता है। आत्महत्या से लेकर हत्या, चोरी, बलात्कार जैसी घटनाओं को एक नशेड़ी आसानी से अंजाम दे सकता है, ऐसा मनोचिकित्सकों का मानना है। अब सवाल यह है कि इस बढ़ते नशे की प्रवृत्ति को कैसे रोका जा सकता है कानून और पुलिस दोनों ही अगर नशा तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें और इसके साथ जो सबसे अहम बात है वह है जन जागरूकता। शासन और प्रशासन के स्तर पर नशे के खिलाफ जन जागरूकता अभियान तेज किए जाने चाहिए साथ ही सामाजिक संस्थाओं को भी इस ओर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है तभी इस नशे की प्रवृत्ति से मुक्ति पाना संभव होगा।

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