सरकार और सत्ता में बैठे लोग खुश हैं। क्योंकि उन्होंने चार साल में पहली बार बजट से 10 फीसदी अधिक कमाई टैक्स वसूली से की है। सरकार को इतना अधिक टैक्स वसूल करने से न सिर्फ अपना राजकोषीय घाटा जो निरंतर बढ़ता जा रहा था उसे कम करने में मदद मिलेगी अपितु विकास योजनाओं पर अधिक धन खर्च करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। सत्ता में बैठे लोगों को इस बात की कोई चिंता नहीं है कि उसकी यह टेक्स वसूली आम आदमी पर कितनी भारी पड़ रही है और बढ़ती महंगाई उनके जीवन को तहस—नहस कर रही है। देश के अधिकांश शहरों में पेट्रोल की कीमतें 100 रूपये लीटर की सीमा के पार जा चुका है तथा डीजल पार करने के करीब है। सरकार पेट्रोल की आधार कीमत पर 134.37 रुपए और डीजल पर 116.32 रुपए टैक्स वसूल रही है। भले ही पेट्रोल डीजल और रसोई गैस की कीमतें आसमान छू रही हो लेकिन सरकार अपने टैक्स में एक पैसा भी कम करने को तैयार नहीं है। पेट्रोल व डीजल की बढ़ती कीमतों ने आम उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में भी आग लगा दी है। अक्टूबर के महीने में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 27 दिन में 23 बार बढ़ोतरी हुई है। जो 6 से 7 रूपये के बीच है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 100 डालर प्रति बैरल तक जा सकती है जो अभी 85 डालर है। जिसके कारण आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 8 से 10 रूपये प्रति लीटर तक बढ़ोतरी और हो सकती है। इसका सीधा मतलब है आने वाले दिनों में पेट्रोल 115 और 120 तथा डीजल 110 व 115 रूपये प्रति लीटर खरीदने के लिए तैयार रहें। जिस महंगाई को लेकर आम आदमी की जान हलक में आ गई है उसे रोकने का कोई प्रयास सरकार की तरफ से नहीं किया जा रहा है। शायद सरकार को 80 करोड़ उन लोगों के जीवन की कोई परवाह नहीं है जो रोज कमाने खाने वाले हैं। हास्यापद बात यह है कि सत्ता में बैठे लोगों ने इस आम आदमी के एक हाथ में ग्लूकोस की ड्रिप लगा रखी है। सरकार किसानों मजदूरों और कामगारों को 500 रुपए महीना से लेकर 2000 तक की नगद राशि किसी न किसी रूप में दी जा रही है तथा पांच पांच किलो मुफ्त राशन बांटा जा रहा है। आम आदमी इस ग्लूकोस की ट्रिप को देख रहा है और सोच रहा है कि आज तक किसी सरकार ने उन्हें तो पैसे नहीं दिए मोदी सरकार उन्हें कुछ तो दे रही है। इस आम आदमी को अपने दूसरे हाथ से निकाले जाने वाले उस खून के बारे में कुछ पता नहीं है कि सरकार टैक्स के रूप में उसका खून निचोड़ रही है 10 हजार का और सम्मान राशि दे रही है 2000 की। ऐसी स्थिति में भले ही सत्ता में बैठे लोगों को ग्लूकोज की ड्रिप वोट दिलाने के लिए काफी सही लेकिन उनकी मौत भी तय है क्योंकि उनके दूसरे हाथ से लगातार खून निकाला जा रहा है। देश के लोगों को भूखा नंगा और गरीब तथा लाचार बनाने वाली यह सत्ता व्यवस्था जो जनता को भिखारी बनाए रखना चाहती है उससे देश को आजादी कब और कैसे मिलेगी यह समझना आज सभी के लिए जरूरी है