देहरादून। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज की जानकारी के बिना उनके डिजिटल हस्ताक्षरों के माध्यम से फर्जी नियुक्ति पत्र बनाने पर निजी सचिव सहित दो के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के पीआरओ कृष्ण मोहन ने डालनवाला कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराते हुए बताया कि वह कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के यहां जनसंपर्क अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। सतपाल महाराज, लोक निर्माण विभाग, उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री हैं। यह आपके ध्यान में लाया जाता है कि एचओडी, लोक निर्माण विभाग के रूप में अयाज अहमद 5 मई 2022 को मंत्रालय में अनुमोदन के लिए प्राप्त हुए थे और मंत्री द्वारा आवेदन स्वीकृत होने की स्थिति में इसे मुख्यमंत्री को अग्रेषित किया जाना था। स्वीकृति के लिए मंत्री सतपाल महाराज विदेश दौरे पर थे और उक्त कारण से अयाज अहमद का आवेदन लंबित रखा गया था। आई.पी. सिंह, जो कैबिनेट मंत्री के निजी सचिव के रूप में कार्यरत थे, उनके द्वारा धारण किए जा रहे पद के लिए, मंत्री के डिजिटल हस्ताक्षरों तक पहुंच थी। मंत्री 14 मई 2022 को देहरादून लौटे तथा 15 मई 2022 को रविवार होने के कारण अपने निजी आवास अर्थात 13, म्यूनिसिपल रोड, देहरादून में विश्राम किया। रविवार को, यानी, 15 मई 2022 मंत्री सतपाल महाराज के निजी सचिव आई. पी. सिंह मंत्री के अधिकार/अनुमति के बिना मंत्री के सरकारी आवास 17, सुभाष रोड, देहरादून गए और घोर आपराधिक मंशा/विश्वास भंग और कर्तव्य में लापरवाही के साथ कार्यालय खोला ऑनलाइन आवेदन अयाज अहमद और अनुमोदित (स्वीकृत) लिखा और जानबूझकर फाइल मुख्यमंत्री के बजाय उत्तराखंड के पीडब्ल्यूडी विभाग के प्रमुख सचिव को अग्रेषित की, जिसे अंततः स्वीकार कर लिया गया। आई.पी. सिंह द्वारा यह काम पीठ पीछे और मंत्री की जानकारी के बिना किया गया था और आई.पी. सिंह ऐसी किसी भी फाइल पर टिप्पणी देने के लिए अधिकृत नहीं थे। जैसे ही उक्त घटना मंत्री सतपाल महाराज के संज्ञान में आई, तो उन्होंने मुख्य सचिव को संबोधित एक पत्र लिखा जोकि मुख्य सचिव को आईपी सिंह को हटाने के लिए जारी किया गया था। आई.पी. सिंह को मंत्री के निजी स्टाफ से हटाने और आई.पी. सिंह के खिलाफ उचित विभागीय कार्रवाई करने के लिए कहा गया।
आईपी सिंह की उक्त अवैध कार्रवाइ व अयाज अहमद द्वारा सार्वजनिक दस्तावेज को जाली बनाकर एक आपराधिक साजिश रचने और गलत विचार के लिए उक्त जाली दस्तावेज को वास्तविक के रूप में उपयोग करने और अन्य कारणों से जो उन दोनों को सबसे अच्छी तरह से ज्ञात हैं। ऊपर बताई गई परिस्थितियों में, यह उचित है कि भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की संबंधित धाराओं और उपरोक्त आईपी सिंह व अयाज अहमद के खिलाफ अन्य संबंधित कानूनों के तहत एक आपराधिक जांच शुरू की जाए। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।