नेता विपक्ष के चुनाव में उलझी कांग्रेस
देहरादून। भाजपा ने भले ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चुनाव हारने के बाद उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री चुनकर मसले को सुलझा लिया और सरकार गठन की प्रक्रिया में आगे बढ़ गई, लेकिन विपक्ष कांग्रेस नेता विपक्ष के चुनाव को लेकर उलझी हुई है। 29 मार्च से विधानसभा का पहला सत्र शुरू होने जा रहा है लेकिन कांग्रेस अब तक नेता विपक्ष का चयन नहीं कर सकी है। जिससे ऐसी संभावना प्रतीत हो रही है कि विधानसभा का पहला सत्र बिना नेता विपक्ष के ही हो।
पूर्व नेता विपक्ष प्रीतम सिंह जो चकराता से फिर चुनाव जीत कर आए हैं इस पद के लिए सबसे प्रबल दावेदार हैं। लेकिन कांग्रेस में जिस तरह की अंदरूनी राजनीति हावी है उसके मद्देनजर इस बात की कोई संभावना नहीं दिख रही है कि कांग्रेस के चुने हुए विधायक सर्वसम्मति से किसी एक नाम पर अपनी सहमति बना पाएंगे। चुनाव परिणाम आने के बाद ही यह साफ हो चुका था कि कांग्रेस में अब नेता विपक्ष को लेकर भी घमासान और खींचतान होना निश्चित है। धारचूला विधायक धामी द्वारा चुनाव परिणाम आने के बाद से अपने आप को इस पद के लिए उपयुक्त बताया जा रहा था। उनका कहना था कि वह क्या जिंदगी भर विधायक ही बने रहेंगे उन्हें भी कांग्रेस को आगे बढ़ने का मौका देना चाहिए वह भी चार बार के विधायक है। हरीश धामी ने तो यहां तक कह डाला था कि अगर वह नेता विपक्ष नहीं बनाए जाते हैं तो उन्हें कुछ और ही सोचना पड़ेगा।
दरअसल यह लड़ाई पार्टी की अंदरूनी लड़ाई है। पूर्व सीएम हरीश रावत भले ही चुनाव हारने के बाद हाशिए पर आ गए हो लेकिन वह और उनके समर्थक हार मानने को तैयार नहीं हैं पहले भावी मुख्यमंत्री की लड़ाई थी और यह लड़ाई अब नेता विपक्ष को लेकर हो रही है। आज कांग्रेस भवन में इस पर कांग्रेसियों का मंथन भी हुआ है लेकिन निष्कर्ष कुछ नहीं निकल सका है। पूर्व नेता विपक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि इसका फैसला हाईकमान को ही करना है जो हाईकमान करेंगे वह सभी को मान्य होगा। उधर यशपाल आर्य का कहना है कि जल्द नेता विपक्ष का चयन कर लिया जाएगा।