केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हुए

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यमुनोत्री मंदिर के कपाट भी हुए बंद

उत्तरकाशी। भैया दूज के पावन पर्व पर आज विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग बाबा केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए।
कपाट बंद होने के बाद बाबा केदार नाथ जी की पंच मुखी डोली शीतकालीन गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ के लिए प्रस्थान कर गई। कपाट बंद होने के समय सेना के बैंड ने धार्मिक धुने बजाईं। इस वर्ष 15 लाख 61 हजार श्रद्धालुओं ने बाबा केदार नाथ जी के दर्शन किये।

इधर आज दोपहर 12 बजकर 9 मिनट पर विधि विधान व मंत्रोच्चार के साथ यमुनोत्री मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। यमुनोत्री धाम से यमुना जी की उत्सव मूर्ति को डोली यात्रा के साथ खरसाली पहुंचाया गया।
गुरुवार सुबह 8.30 बजे खरसाली से यमुना के भाई समेश्वर (शनि) देवता की डोली यमुनोत्री के लिए रवाना हुई। यमुनोत्री में विशेष पूजा—अर्चना एवं धार्मिक अनुष्ठान के साथ अभिजित मुहूर्त पर दोपहर 12 बजकर 9 मिनट पर यमुनोत्री मंदिर के कपाट बंद किए गए। यहां यमुना जी की उत्सव मूर्ति को डोली यात्रा के साथ तीर्थ पुरोहितों के गांव खरसाली लाया गया। जहां ग्रामीणों ने यमुना का भव्य स्वागत किया। इस दौरान धाम में जिले की कई देव डोलियां मौजूद रही। जिसमें राना गांव के समेश्वर देवता, ओजरी की जाख देवी, ब्रह्मखाल के नाग देवता की डोली भी मौजूद रही। सचिव सुरेश उनियाल ने बताया कि अब शीतकाल में खरसाली गांव में यमुना जी के दर्शन तथा पूजा—अर्चना की जाएगी।

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