अब तक 150 लोगों की जान गई, जिम्मेवार कौन?
अहमदाबाद। बीते कल गुजरात के मोरवी जिले में मच्छु नदी पर बना संस्पेशन पुल टूट जाने से डेढ़ सौ के लगभग लोगों की जान चली गई। प्रधानमंत्री के गृह राज्य में हुई इस बड़ी दुर्घटना के कारणों को तलाशा जा रहा है। पता चला है कि इस पुल की मेंटीनेंस का काम अजंता घड़ी और कैल्क्यूलेटर बनाने वाली कंपनी द्वारा किया जा रहा था। जिस देश में भ्रष्टाचार की कोई सीमा न हो और पुल निर्माण तथा उनकी देखरेख का काम घड़ी कंपनियां कर रही हो, वहंा अगर पुल टूटेंगे नहीं तो और क्या होगा।
जानकारी के अनुसार इस ऐतिहासिक पुल के रखरखाव का जिम्मा 15 साल के लिए गुजरात की ही ओरवा कंपनी को दिया हुआ था। यह पुल बीते 5 साल से बंद था क्योंकि कंपनी द्वारा यहां मेंटीनेंस का काम किया जा रहा था। बीते सप्ताह ही इस पुल को आम लोगों की आवाजाही के लिए खोला गया था। जिलाधिकारी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मेंटीनेंस के बाद पुल के तीन निरीक्षण होने थे जिनमें से सिर्फ एक ही निरीक्षण हुआ। ऐसे में इन डेढ़ सौ लोगों की मौत के लिए कौन जिम्मेवार है यह एक अहम सवाल है।
140 साल पुराने इस पुल को लोग इसकी डिजाइन और आकृति के लिए 19वीं सदी का अजूबा भी कहते थे। खास बात यह है कि इस पुल पर आवाजाही के लिए 17 रूपये शुल्क भी लिया जाता था लेकिन पुल की स्थिति पर कभी गौर नहीं किया गया। ओरवा गु्रप अजंता मेनी फैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के नाम से जानी जाती है जो दीवार घड़ी से लेकर केलकुलेटर तक बनाती है और जिसका कारोबार 45 देशों तक फैला है और 12000 कर्मचारी इस में काम करते हैं। सवाल यह है कि एक घड़ी निर्माता कंपनी को पुल की मेंटीनेंस का काम कैसे मिल गया। इस कंपनी के संस्थापक ओघवा जी पटेल को लोग दीवार घड़ी के पिता के नाम से भी जानते हैं।