आतंक का पर्याय बना गुलदार आखिरकार हुआ पिंजरे में कैद

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देहरादून। सहसपुर के शंकरपुर में आतंक का पर्याय बना गुलदार आखिरकार पिंजरे में कैद हो गया है। वन विभाग ने शंकरपुर स्थित राम खाली के पास पिंजरा लगाया था, जिसमें आज सुबह गुलदार कैद हो गया है। गुलदार को पिंजरे में कैद देख लोगों ने राहत की सांस ली।
शिकारियों का कहना है कि महमूदनगर बस्ती में चार साल के मासूम को मारने से पहले गुलदार ने तीन महीने पहले भी उस पर हमले की कोशिश की थी। इसके बाद घर में खेल रहे पांच बच्चों के बीच से गुलदार ने उसी को अपना शिकार बनाया। उनका दावा है कि एक शिकार पर दो बार हमला करने की एकमात्र घटना जिम कार्बेट की किताब में दर्ज है। इसके अलावा ऐसा कोई दूसरा मामला नहीं आया है। शिकारियों का कहना है कि पिछले नौ महीने से यह गुलदार क्षेत्र में आतंक का पर्याय बना हुआ था। हिमाचल प्रदेश के सोलन के रहने वाले आशीष दास गुप्ता के नेतृत्व वाली शिकारियों की टीम में मुरादाबाद के राजीव सोलोमन, मेरठ के सैय्यद अली बिन हादी शामिल हैं।
राजीव सोलोमन का दावा है कि ऐसी एकमात्र घटना का जिक्र जिम कार्बेट ने अपनी किताब ट्टमैन ईटर ऑफ रुद्रप्रयाग’ में किया है। इसमें रुद्रप्रयाग की एक महिला का गुलदार कई दिनों तक पीछा करता रहा। बाद में रात में परिजनों के साथ सोते समय उसे उठाकर ले गया था। चार साल के अहसान को मारने के तीन महीने पहले भी गुलदार ने उस पर हमले की कोशिश की थी। मां अर्जिना के मुताबिक, तब वह अपने भाई के साथ बैठकर चूल्हे पर चाय बना रही थीं। जलती लकड़ी फेंककर उन्होंने अहसान को बचाया था। बहरहाल अब गुलदार के पिंजरे में कैद हो जाने से क्षेत्रीय जनता ने राहत की सांस ली है।

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