- कई मतदान केद्राें पर मिली मतदाता सूची से नाम हटाने की शिकायतें
देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का वोटर लिस्ट से नाम गायब होने के कारण वह अपना निकाय चुनाव में वोट नहीं डाल सके। इसकी जानकारी खुद उनके ही द्वारा निर्वाचन आयोग को दी गई तो इस मामले को लेकर निर्वाचन आयोग में हड़कंप मच गया। मामला क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री के नाम का था इसलिए निर्वाचन आयोग के अधिकारी उनका नाम वोटर लिस्ट में ढूंढने में जुट गए।
इसे लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि इसमें चुनाव आयोग का कोई दोष नहीं है। उन्होंने अपना नाम मतदाता सूची से गायब होने को लेकर भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा नाम कटवाने और नाम जुड़वाने के काम में पारंगत है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की चिंता नहीं है कि मेरा नाम मतदाता सूची में नहीं है और मैं मतदान नहीं कर सकूंगा। मुझे इस बात की चिंता है कि कहीं मेरी तरह और भी मतदाताओं के नाम सूची से गायब तो नहीं है और अगर इन मतदाताओं की संख्या अधिक होती है तो निश्चित ही चिंता का विषय है और चुनाव आयोग को इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव के दौरान भी पूर्व सीएम हरीश रावत ने देहरादून में ही मतदान किया था। वह 2023 से ही डिफेंस कॉलोनी में रह रहे हैं तथा वार्ड 76 व 58 की मतदाता सूची में उनका नाम दर्ज था। लेकिन अब निकाय चुनाव में मतदान के लिए जब उनका नाम ढूंढा गया तो वह मतदाता सूची से गायब मिला। हमारे संवाददाता द्वारा भी आज जब मतदान केद्राें पर जाकर इस बारे में जानकारी ली गई तो कई मतदान केद्रों पर ऐसे अनेक लोग मिले जो मतदाता सूची से नाम काटने की शिकायतें करते दिखे। उनका आरोप था कि भाजपा ने जानबूझकर मतदाता सूची से नाम हटवाया हैं। जबकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भटृ का कहना है कि कांग्रेस को हार से पहले मुद्दे तलाशने हैं और वही यही कर रही है। हो सकता है कि भूलवश या किसी गलती के कारण कोई नाम छूट गया हो।




