महंगाई की मार, सीमा पार

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भले ही देश का आम आदमी बढ़ती महंगाई के बोझ से बेहद परेशान हो लेकिन सत्ता में बैठे लोग इसे आम आदमी की समस्या नहीं मानते हैं उन्होंने अनेक ऐसे मुद्दों को इतने जोर शोर से हवा में उछाल रखा है कि विपक्ष का विरोध नक्कारखाने में तूती की आवाज बनकर रह गया है। देश की अर्थव्यवस्था को इन दिनों विश्व की सबसे तेज रफ्तार वाली अर्थव्यवस्था के रूप में प्रचारित किया जा रहा है जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुपया अपने रिकॉर्ड कमजोर स्तर पर पहुंच चुका है जो वर्तमान में डॉलर के मुकाबले 80—85 पर है रुपए के मूल्य में 2014 के बाद 30 फीसदी की यह गिरावट न सिर्फ चिंताजनक है बल्कि अर्थव्यवस्था पर बड़े संकट का संकेत है। केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने अभी संसद में रुपए के मूल्य में 25 फीसदी की गिरावट की बात को स्वीकार किया था। रुपए की इस गिरावट के कारण रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कमी की संभावनाएं समाप्त हो चुकी है वहीं आयात भुगतान पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ना तय है। लोगों को अब कर्ज तो महंगा मिलेगा ही इसके साथ ही सरकार भी पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस की कीमतों में अगर बढ़ोत्तरी करती है जो पहले से ही रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच चुकी है तो इसका जन विरोध भी स्वाभाविक तौर पर होना तय है। सरकार अब दूध, दही, पनीर और छाछ जैसी खाघ वस्तुओं पर भी जीएसटी वसूल कर अपनी आय को बढ़ाने का प्रयास कर रही है। कराधान की भी अपनी नीतियां और सिद्धांत है अगर इनका सही से अनुपालन नहीं होता है तो देश की अर्थव्यवस्था और विकास तो प्रभावित होता ही है साथ ही आम आदमी की मुश्किलें अगर हद पार कर जाती है तो फिर श्रीलंका और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत जैसे हालात पैदा हो जाते हैं। सरकार अन्य समस्याओं और मुद्दों पर बहुत लंबे समय तक जनता का ध्यान भटका कर नहीं रख सकती है। सरकार द्वारा दुग्ध उत्पादों पर जो जीएसटी लागू की गई है उसका किसानों या पशुपालकों को कोई फायदा नहीं होगा? इसका फायदा सिर्फ सरकार को होगा क्योंकि पेजिंग कंपनियों ने भी इस टैक्स को उपभोक्ताओं की जेब पर डाल देना है इसलिए उन्हें इससे कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। अच्छा होगा कि सरकार सिर्फ अपने टैक्स संग्रह पर ही नजर न रखें बल्कि आम जनता के हितों को भी ध्यान में रखकर काम करें। केंद्र की भाजपा सरकार जो लोगों को अच्छे दिन लाने का भरोसा देकर सत्ता में आई और सत्ता में बनी हुई है बीते 8 सालों में आम आदमी के कितने अच्छे दिन लाई है? किसानों की आय दोगुना करने वाली सरकार ने किसानों की आय में कितना इजाफा किया है? इस पर सत्ता में बैठे लोगों को विश्लेषण करने की जरूरत है। सिर्फ जीएसटी की रिकॉर्ड आय पर खुश होना पर्याप्त नहीं है वरना जनता सरकार का एक न एक दिन हिसाब जरूर करेगी?

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