प्रेमचंद का प्रमोशन

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लगभग बीते एक महीने से सूबे की सियासत में नेताओं और मंत्रियों तथा विधायकों के अमर्यादित व्यवहार और बयानों को लेकर भूचाल की स्थिति बनी हुई है। जगह—जगह उत्तराखंड और उत्तराखंडियों के अपमान को लेकर धरने प्रदर्शन जारी है। खास बात यह है कि इसे रोकने के प्रयासों के बीच इसमें हर रोज एक नई कड़ी जुड़ती जा रही है। संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के एक बयान से शुरू हुआ यह विवाद स्पीकर ऋतु खंडूरी से होता हुआ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भटृ तक जा पहुंचा। सवाल यह उठता है कि विरोध प्रदर्शन करने वाले एक के बाद एक मंत्री और विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करने या उन्हें पद से हटाने की मांग कर रहे हैं। सरकार या पार्टी अब किस—किस को हटाए इसे लेकर किसी एक पर कार्रवाई की तो सवाल यह भी उठेगा की दूसरों पर क्यों नहीं? एक अन्य सवाल यह भी है कि अगर कार्रवाई की गई तो इसका राजनीतिक मैसेज भी गलत जाएगा। यही कारण है कि अब पार्टी और सरकार दोनों ही स्तर पर किसी के भी विरुद्ध कोई कार्रवाई होती नहीं दिख रही है और न ही होने की उम्मीद है। इन्हीं तमाम विवादों के बीच अब खबर आई है कि संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को केंद्र सरकार ने एक और प्रमोशन दे दिया है। उन्हें जी ओ एम (ग्रुप आफ मिनिस्टर्स) की समिति में शामिल कर लिया गया है। सात सदस्यीय इस केंद्रीय समिति में यूपी, छत्तीसगढ़ और असम सहित सात राज्यों के वित्त मंत्रियों को शामिल किया गया है जिसमें उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल भी शामिल है। बीते दिनों यह खबर चर्चाओं के केंद्र में थी कि प्रेमचंद अग्रवाल के विवाद का यह मामला प्रधानमंत्री तक पहुंच चुका है तथा अब उनका मंत्री पद जाना सुनिश्चित हो चुका है। अभी जब पीएम मोदी उत्तराखंड दौरे पर आए थे तो उनके इस दौरे से प्रेमचंद को दूर रखा गया था जिसके आधार पर इस चर्चा नें जोर पकड़ा था। लेकिन अब उनके प्रमोशन की खबर ने इस चर्चा की हवा निकाल दी है केंद्रीय समिति जी ओ एम का काम है आपदा प्रबंधन के लिए टैक्स की व्यवस्थाओं को सुदृढ़ बनाना। प्रेमचंद के इस प्रमोशन को लेकर भले ही विरोध करने वाले हैरान परेशान हो लेकिन इसमें हैरानी की कोई बात इसलिए भी नहीं है क्योंकि महेंद्र भटृ इन्हें पहले ही उन्हे सड़क छाप नेता बता चुके हैं उनका यही तो कहना था कि इसे हटाओ इसे रखो की राजनीति करने वाले नेताओं के कहने पर सरकार या पार्टी नहीं चलती है अगर ऐसा होने लगा तो पार्टी व सरकार को चलाना मुश्किल हो जाएगा। भाजपा के रूख से अब यह साफ हो चुका है कि कोई कितना भी हो हल्ला मचा ले पार्टी व सरकार किसी भी मामले में किसी तरह की कार्रवाई नहीं करेगी। इसे आप मनमानी का नाम भी दे सकते हैं। विरोध और प्रदर्शनों की जहां तक बात है वह कितने दिन और जारी रहते हैं यह आने वाला समय ही बताएगा लेकिन एक बात साफ है कि इस मुद्दे को हवा देने वाले अब घाम तापते दिख रहे हैं। हालांकि कांग्रेस से ज्यादा इन मुद्दों को उन नेताओं द्वारा हवा दी जा रही थी जो नए—नए राजनीति में पर्दापरण करने वाले हैं। उनके द्वारा अब आंदोलन जिसे देसी व पहाड़ी तथा राज्य के अपमान से जोड़कर हल्ला बोला जा रहा है वह किस रणनीति पर काम करते हैं यह आने वाला समय ही बताएगा।

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