अलविदा 2024

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अपनी खटृी मीठी यादों को आपके साथ छोड़कर वर्ष 2024 बस जाने वाला है। देश और दुनिया भर के लोग नव वर्ष 2025 के सुस्वागत की तैयारियों में जुटे हुए हैं जबकि कुछ बुद्धिजीवी 2024 में राष्ट्रीय और सामाजिक तथा आर्थिक स्तर पर क्या कुछ इस एक साल में खोया या पाया का, बहीखाता तैयार करने में जुटे हुए हैं। इससे भी कुछ अलग हटकर एक खास वर्ग के लोग हैं जो ट्टबीती ताहि विसार दे आगे की सुधि लेंय, की 2025 के लिए जीवन लक्ष्य तय करने में जुटे हुए हैं। खास बात यह है कि समय जो कभी रुकता नहीं है थमता और ठहरता नहीं है और कभी मरता भी नहीं है उस समय पर मानव मात्र का कभी कोई नियंत्रण न रहा है और न रहने वाला है। हर एक जीवधारी को समय के साथ चलते रहने के लिए सिर्फ वक्त के साथ कदमताल करनी होती है। वक्त का जो नैसर्गिक और सापेक्षिक गुण है वह है परिवर्तन। सदियों से कालचक्र का पहिया एक निश्चित गति से घूम रहा है जो आज का वर्तमान है वह कल का इतिहास होगा जिस भविष्य की बात हम करते हैं उसके बारे में कोई कुछ भी नहीं जानता है। यही कारण है कि अधिकांश लोगों का यही मानना होता है कि जीवन में जो कुछ भी है वह वर्तमान ही है। इसलिए जो भी कुछ करना है अपने आज को बेहतर बनाने के लिए करो। बीते कुछ सालों के इतिहास पर अगर एक नजर डालें तो समूचे विश्व राष्ट्रों के लिए समय अत्यंत उथुल—पुथल और त्रासद हालात वाले रहे हैं। बात चाहे कोरोना जैसी महामारी की, की जाए या फिर खाड़ी देशों के बीच चल रहे युद्ध की अथवा रूस और यूक्रेन के बीच जारी उस जंग की जो सालों बाद भी जारी है। अथवा भारत के पड़ोसी मुल्क श्रीलंका और बांग्लादेश के गृह युद्धों की जहां अपनी समस्याओं के सामने जनता का भरोसा डांवा डोल हो गया है। अगर हम अपने देश के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक हालात पर भी एक नजर डालें तो यहां भी सब कुछ सामान्य दिखाई नहीं दे रहा है। जिस तरह के हालात मौजूदा समय में दिख रहे हैं वह एक बड़े रिफॉर्म की ओर ही इशारा कर रहे हैं। आने वाले कुछ सालों में देश के राजनीतिक और सामाजिक फलक पर कुछ न कुछ क्रांतिकारी परिवर्तन हो सकते हैं उम्मीद की जानी चाहिए कि यह परिवर्तन एक नए भारत के उदय के रूप में सामने आएंगे। लेकिन भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है इसकी कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है। देश को आजाद हुए 75 साल पूरे होने वाले हैं। इन 75 सालों में देश और समाज ने आशातीत विकास की यात्रा को जारी रखा है भले ही समय—समय पर अनेक बार अवरोध आते रहे हो लेकिन भावी भविष्य की उन चुनौतियाें से भी इनकार नहीं किया जा सकता है जो आज देश और समाज के सामने मुंह बाएं खड़े हैं। आने वाला एक दशक देश को असल दिशा और दशा को तय करने में निर्णायक भूमिका निभाएगा। इस कालखंड में देश की राजनीति और सामाजिक नीति से लेकर अर्थनीति तक सभी क्षेत्रों में बड़े बदलाव संभावित है। संवैधानिक मूल्यों और मानवीय मूल्यों की रक्षा के दृष्टि से यह समय परिवर्तनकारी सिद्ध हो तथा भारत अपनी अनेकता में एकता तथा वसुदेव कुटुंबकम की नीति का ध्वजवाहक बन विश्व पटल पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराये, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ सभी को वर्ष 2025 की हार्दिक बधाइयां। नव वर्ष संपूर्ण मानव समाज को कल्याणकारी व शुभ मंगलम हो।

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