अपूरक राष्ट्रीय क्षतिपूर्व

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प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। उनके निधन की खबर ने आम जनमानस के मन को झकझोर कर रख दिया है। पीएम मोदी से लेकर अन्य वह तमाम नेता भी उनके निधन पर शोक संवेदनाएं व्यक्त करते हुए उन्हें अपने—अपने तरीके से श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। जिन्होंने कभी उनके कार्यकाल में आलोचनाओं के सिवाय और कुछ नहीं किया कोई उन्हें मौन प्रधानमंत्री तो कुछ ने बाथरूम में रेनकोट पहन कर नहाने वाला प्रधानमंत्री कहां तो कुछ तो उन्हें मौनी बाबा कहकर भी उनका उपवास उड़ाते रहे। तो कुछ तमाम सीमाओं के पार जाकर उन्हें एक्सीडेंटल पीएम बनाने से भी नहीं चुके। प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के 10 साल पूरे करने के बाद जब उनकी सत्ता से विदाई हुई तो उन्होंने एक पत्रकार वार्ता के दौरान कहा था ट्टहजारों शब्दों से बेहतर है एक मौन’ जिसने हजारों सवालों की आबरू रख ली। अपने आलोचको जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि लोग आज कुछ भी कहें लेकिन एक दिन हमें इतिहास में याद किया जाएगा। मनमोहन सिंह ने देश व इस देश के समाज के लिए क्या किया और क्या दिया? आज देश के नेताओं, बुद्धिजीवियों और अर्थशास्त्रियों तथा समाजसेवियों द्वारा इसकी समीक्षा की जा रही है। कोई भी व्यक्ति किसका कृतित्व और व्यक्तित्व कैसा है इसका निर्धारण नहीं कर सकता है। अपने जीवन काल में व्यक्ति ने किस क्षेत्र में क्या—क्या किया इसके आधार पर ही इतिहास उसे याद रखता है। मनमोहन सिंह की गिनती विश्व के सबसे अधिक पढ़े—लिखे प्रधानमंत्रियों में की जाती है। अत्यंत ही गरीब परिवार में जन्म लेने वाले और विसंगतियों के बीच उच्च शिक्षा ग्रहण कर पाना किसी भी व्यक्ति के लिए सामान्य बात नहीं है। जिस समय पूरा विश्व आर्थिक मंदी की मार झेल रहा था उस समय देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखने का काम अगर किसी ने किया है तो वह मनमोहन सिंह ने किया। देश के किसानों का दर्द समझने और उनका कर्ज माफ करने का फैसला तथा मजदूरों का जीवन आसान बनाने और मनरेगा जैसी योजनाओं को क्रियान्वित करने का काम अगर किसी ने किया तो वह मनमोहन सिंह ही थे। देश में जब आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया को उनके द्वारा लागू किया गया तो देश भर में उनका भारी विरोध हुआ। लोगों ने विश्व भर के लिए भारतीय बाजार को खोलने के निर्णय का विरोध यह कहकर किया था कि जब एक ईस्ट इंडिया कंपनी व्यापार करने के लिए भारत आई थी तब देश को गुलामी की त्रासदी झेलनी पड़ी थी जब हजारों विदेशी कंपनियां व्यापार करने आएंगी तब क्या होगा, लेकिन वह मनमोहन सिंह ही थे जिन्होंने वक्त की मांग और जरूरत के अनुरूप आर्थिक फैसले लिए ही नहीं उन्हें सटीक साबित करके दिखाया। उनकी सरकार पर 2जी स्कैम्प का आरोप लगाने और उनके चरित्र हनन के प्रयास किए गए तो उनके विरोधियों को लिखित में यह स्वीकार करना पड़ा कि उनके आरोप गलत थे। मनमोहन सिंह सच्चे और सही मायने में देशभक्त थे, ईमानदार और कर्मनिष्ठ अधिकारी और नेता थे। जिन्होंने सत्ता का कभी अपने निजी हितों के लिए इस्तेमाल नहीं किया उनके जैसा देश में कोई अर्थ विज्ञानी न होगा। आरबीआई के गवर्नर पद से लेकर देश के वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में देश व समाज की सेवा उन्होंने की उसकी कोई दूसरी मिसाल नहीं है। उन्होंने जो एक लंबी लाइन खींची है कोई नेता उसके आस पास भी दिखाई नहीं देता है। देश उनका सदैव ऋणी रहेगा ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।

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