केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव की तारीख जैसे—जैसे नजदीक आ रही है चुनाव प्रचार भी जोर पकड़ता जा रहा है। सीएम धामी अब अपने विकल्प रहित संकल्प के मिशन पर निकल पड़े हैं। घनसाली क्षेत्र में आयोजित अल्पसंख्यक सम्मेलन में वह बुलेट पर सवार होकर पहुंचे वहीं सांसद अजय टम्टा से लेकर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भटृ तथा शांतिलाल शाह तक तमाम नेताओं व कार्यकर्ताओं की मौजूदगी से यह साफ झलक रहा है कि मुख्यमंत्री धामी अगर संकल्प से चूके तो इसका उनके राजनीतिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा विपक्ष कांग्रेस के नेता इस चुनाव में उस हर एक चाल पर अपनी पैनी नजरे बनाए हुए हैं जो उसे जीत दिलाने में सहायक हो सकती है। ईगास के अवसर पर हरीश रावत का ऐश्वर्या रावत के साथ फोटो शूट भाजपा खेमे में चर्चा का विषय बना हुआ है। यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सांसद अनिल बलूनी के घर जाकर ईगास मनाना भी क्या मायने रखता है यह सभी जानते हैं। भाजपा के नेताओं द्वारा यूं तो हर एक गतिविधि को उत्तराखंड के साथ मोदी के लगाव से जोड़ दिया जाता है। लेकिन इस चुनाव से पूर्व इस बात पर भी चर्चाएं कम नहीं हो रही है कि अगर भाजपा केदारनाथ हारी तो फिर संगठन और सत्ता स्तर पर बड़ा फेरबदल संभव है। विपक्ष कांग्रेस के नेता तो लंबे समय से यह प्रचारित करने में जुटे हैं कि केदारनाथ चुनाव के नतीजे तो आने दीजिए। कांग्रेसी नेताओं का तो यहां तक दावा है कि भाजपा के अंदर ही एक तबका ऐसा काम कर रहा है जो भाजपा प्रत्याशी की हार देखना चाहता है और उनका मकसद यही तक सीमित नहीं है। इसमें कोई दो राय भी नहीं है कि धामी के खिलाफ एक लॉबी काम कर रही है। इसका जिक्र बॉबी पंवार भी कर रहे थे मुख्यमंत्री धामी भी यूं ही बाबा केदार की सौगंध खाकर लोगों को भरोसा नहीं दिला रहे हैं कि दिल्ली में केदारनाथ शिला ले जाने का कांग्रेस ने मिथ्या प्रचार किया है वह देश में कहीं भी धामोंं के नाम का उपयोग नहीं करने देंगे। उन्हें पता है कि मंगलौर और बद्रीनाथ चुनाव जीतने के बाद अब अगर केदारनाथ की सीट जिस पर भाजपा की हमेशा मजबूत पकड़ रही है अगर हाथ से फिसल गई तो इसके बाद उनके हाथ से न जाने क्या—क्या फिसल जाएगा? यही कारण है कि उन्होंने केदारनाथ उपचुनाव को अपना विकल्प रहित संकल्प बना दिया है। 23 नवंबर को पता चलेगा कि अपने इस विकल्प रहित संकल्प में वह पास हो पाएंगे या नहीं?




