महिला अपराधों की बाढ़

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उत्तराखंड में महिला अपराधों की बाढ़ जैसी आई है। आए दिन एक दो घटनाएं अखबारों की सुर्खियों में रहना आम बात हो चुकी है। यह स्वाभाविक ही है कि इन मुद्दों को लेकर विपक्ष भी शासन—प्रशासन की घेराबंदी करेगा ही। बीते कल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने आवास से सीधे पुलिस मुख्यालय पहुंच गए और उन्होंने सबसे पहले महिला हेल्पलाइन कक्ष का रुख किया। महिला अपराधों के सभी मामलों की जानकारी ली और किस मामले में पुलिस ने क्या कार्यवाही की है इसके बारे में विस्तार से जाना। उन्होंने अधिकारियों को महिला अपराधों से जुड़े मामलों में तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए। यही नहीं उनके द्वारा पुलिस महानिदेशक को कहा गया है कि महिला अपराधों के मामले देखने के लिए एक वरिष्ठ महिला आईपीएस अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी जाए। दरअसल राज्य में सामूहिक दुराचार और हत्याओं की बड़ी वारदातों से लेकर स्कूल में पढ़ने वाली मासूम बच्चियों के यौन शोषण के अति गंभीर मामले जिस तरह से सामने आ रहे हैं वह अत्यंत ही चिंतनीय विषय है। आज पौड़ी जनपद के एक स्कूल में पढ़ने वाली 12वीं की छात्रा को उसी स्कूल के पूर्व शिक्षक द्वारा अपहरण कर नोएडा ले जाने की खबर आई है वह शिक्षक जब इस स्कूल में पढ़ाता था तो उसका इस स्कूल से तबादला भी इसी लड़की के साथ नजदीकी रिश्ते बनाने के कारण किया गया था। सवाल यह है कि जब इस शिक्षक की हरकतों के बारे में पहले से ही जानकारी थी तो स्कूल प्रशासन ने उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत क्यों नहीं की। यह स्कूल इस मामले को अपने स्तर पर ही क्यों रफा दफा करने में जुटा रहा। वही एक अन्य समाचार के अनुसार बहन द्वारा गांव के ही एक लड़के से प्रेम विवाह करने से नाराज युवक द्वारा अपनी बहन को गोली मारकर हत्या कर दी गई। अभी चमोली जिले में एक अन्य समुदाय के युवक द्वारा छेड़छाड़ के मामले को लेकर इतना तनाव देखा गया था कि कई दिन बाजार बंद रहे। वही नैनीताल में एक संविदा कर्मी महिला द्वारा डेयरी संघ के अध्यक्ष भाजपा नेता के खिलाफ अपने यौन शोषण करने का मुकदमा दर्ज कराया गया था और पुलिस द्वारा कार्यवाही न किए जाने से नाराज महिला ने मजिस्ट्रेटी बयान दर्ज करने के बाद चेतावनी दी थी कि अगर आरोपियों को दो दिन के अंदर गिरफ्तार नहीं किया गया तो कोर्ट के सामने ही आत्मदाह कर लेगी। इस मामले के कई सवाल ऐसे हैं जो पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान तो लगाते ही है इसके साथ—साथ कई मामलों में आरोपी भाजपा के कार्यकर्ता और नेता भी हैं। भले ही मुख्यमंत्री जिस जियोलॉजिकल चेंज की बात कहकर बाहरी राज्य के लोगों पर इस तरह के अपराधों को अंजाम देने का ठीकरा उनके सर पर फोड़े लेकिन ऐसा भी नहीं है बाहरी राज्यों के लोग ही इसके लिए जिम्मेदार है। सवाल यह है कि इस तरह के अपराधों को किसी भी कीमत पर रोका जाना जरूरी है। देखना होगा कि मुख्यमंत्री के दिशा निर्देशों का कितना असर होता है।

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