यह कैसा इतिहास है?

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हर एक कालखंड का एक अपना इतिहास होता है। जो आने वाली पीढ़ियो को किसी भी समय विशेष में कोई देश कैसा था उसकी सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थितियोंं परिस्थितियों के बारे में सिर्फ जानकारियां ही नहीं देता है बल्कि विकास की यात्रा के पथ प्रदर्शित करता है। आज इस देश में जो कुछ भी राजनीतिक तौर पर घटित हो रहा है उसे आने वाले कल में किसी अच्छे रूप में याद नहीं किया जा सकता है। क्योंकि वर्तमान की राजनीति का न तो देश के सामाजिक और आर्थिक विकास से कोई सरोकार है और न ही मानवीय मूल्यों से उसका कोई लेना देना शेष बचा है। वर्तमान की राजनीति सिर्फ झूठ की और फरेब तथा सत्ता के लिए सामाजिक विभाजन की राजनीति बनकर ही रह गई है। विडंबना यह है कि देश के नेता अपने राजनीतिक उद्देश्यों को हासिल करने के लिए तथा अपने झूठ को सच साबित करने के लिए इतिहास के उन पन्नों को पलटने और उनका गलत अर्थ समझाने में लगे हुए हैं। अभी मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा 25 जून को लोकतंत्र की हत्या दिवस मनाने का फैसला इसका एक उदाहरण है। स्व. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का देश पर थोपी गई इमरजेंसी एक गैर संवैधानिक फैसला था लेकिन इतिहास इसका साक्षी है कि वह इस देश का संविधान और लोकतंत्र ही था जिसने इंदिरा इज इंडिया और इंडिया इस इंदिरा जैसी अवधारणा को मुंहतोड़ जवाब देते हुए उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। किंतु वर्तमान दौर के नेता इसे कांग्रेस को नीचा दिखाने के लिए एक हथियार के रूप में अपना रहे हैं। अभी एक दिन पूर्व संसद में प्रधानमंत्री मोदी स्व. मुलायम सिंह के एक संसदीय भाषण को उदाहरण के तौर पर पेश करते हुए बता रहे थे कि उन्होंने कांग्रेस पर ईडी और सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। उनकी बात को मान भी लिया जाए तो क्या कांग्रेस ने अगर ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग किया था तो क्या इससे आपकी या किसी भी सरकार द्वारा अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के पीछे ईडी और सीबीआई को छोड़ देने को सही माना जा सकता है या फिर उन्होंने किया था इसलिए हम भी कर रहे हैं। उन्होंने जो किया था गलत था लेकिन हम जो कर रहे हैं वह सही है। तीन—तीन मुख्यमंत्री को जिस तरह चुनावी दौर में जेल में डाल दिया गया जिन पर लगे आरोपों को सिद्ध करना भी मुश्किल हो रहा है क्या इससे पूर्व किसी सरकार के शासनकाल में हुआ था? सोशल मीडिया पर मोदी का एक वीडियो वायरल हो रहा है जो उस समय का है जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे जिसमें एक मंच से वह लोगों को बता रहे थे कि उन्होंने तीन बार प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर यह कहा था कि अगर देश में आधार कार्ड की व्यवस्था लागू की गई तो इसके दूरगामी परिणाम अत्यंत ही खतरनाक होंगे, इसलिए इस मुद्दे पर फिर विचार किया जाए। वहीं मोदी 2022 में अपने भाषण में आधार कार्ड को देश की तरक्की का आधार बता रहे हैं। वर्तमान दौर की राजनीति में इन दिनों जो कुछ भी घटित हो रहा है वह इतना घटिया है कि आने वाली पीढ़ियां जब इस दौर के राजनीतिक इतिहास को जानेगी और पूछेगी कि क्या 21वीं सदी में देश की राजनीति का स्तर यह था कि नेता संसद में खड़े होकर एक दूसरे से उनकी जाति पूछते थे? देश के नेताओं को जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है और उनसे बेहतर आचरण की उम्मीद करती है। इस मुद्दे पर इन नेताओं को चिंतन मंथन की ज्यादा जरूरत है।

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