हवा का रुख भी समझिए हुजूर

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चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से भी पहले चुनाव परिणामों की घोषणा करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि चंद दिनों में ही देश की राजनीतिक हवा इस कदर बदल जाएगी कि अबकी बार 400 पार का दावा और मोदी है तो मुमकिन है का नारा लगाने वालों के हौसले इतने पस्त हो जाएंगे कि उन्हें अब अपने जीत पाने का भी भरोसा नहीं रहेगा और वह विपक्ष के हमलों का जवाब देने और अदालत की फैसलों से इस कदर घबरा जाएंगे कि बचाव करने की स्थिति में भी नहीं रहेंगे। इसके दो उदाहरण सामने हैं पहले है वह इलेक्टोरल बांड जिस पर बीते कल एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने संपूर्ण जानकारी न देने को लेकर कहां है कि एसबीआई तथ्यों को क्यों छुपाना चाहती है तथा 21 मार्च तक हर हाल में सारी जानकारी देने वह भी हलफनामे के साथ, कहा है। दरअसल एसबीआई का अब तक जिस तरह का रवैया रहा है वह यही दर्शाता है कि वह सत्ता के लिए काम कर रहा है, जनता या समाज के लिए नहीं। लेकिन एसबीआई फिर भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है उसे इस बात की भी कतई परवाह नहीं है कि देश के सबसे बड़े इस बैंक की साख उसी के कारनामों के कारण दांव पर लग चुकी है और आम आदमी का उस पर विश्वास समाप्त हो रहा है। एसबीआई अब जो भी चाहे प्रयास कर ले लेकिन उसके प्रयास अब कामयाब नहीं हो सकते हैं। जितना अधिक छानोगे उतनी ही अधिक किरकिरी होगी। फिक्की और एसोचैम जैसी संस्थाओं को भी अपनी मदद के लिए बुला लो वह भी अब आपकी कोई मदद नहीं कर पाएगी न केंद्रीय सत्ता पर काबिज सरकार और उसका कोई मंत्री बचा सकता है इसलिए अब आपको चंदे के इस धंधे का पूरा सच उगलना ही होगा। इसका आधा अधूरा सच सामने आने से जब सत्ता में बैठे लोगों में इस कदर घबराहट है तो पूरा सच सामने आने पर क्या होगा इसकी अभी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। न खाऊंगा न खाने दूंगा का उद्घोष करने वालों ने अगर कुछ नहीं किया है तो वह इतना डरे हुए क्यों है देश के लोग चाहते हैं कि दूध का दूध और पानी का पानी हो तो होने दे न। यह इलेक्टोरल बांड देश का कितना बड़ा घोटाला है इसका सच अब सामने आना तय है। विपक्ष पर सदैव हमलावर रहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब जिन मुद्दों का जिक्र जनता के सामने कर रहे हैं उसमें न विकसित भारत रह गया है और न अयोध्या मथुरा और काशी, कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तेलंगाना में महिलाओं को यह बता रही थी कि वह जिस शक्ति के पुजारी है वह नारी शक्ति है। उन्होंने एक दिन पहले मुंबई में राहुल गांधी के शक्ति के खिलाफ लड़ाई की बात को जिस तरह नारी शक्ति के अपमान के साथ जोड़ने का प्रयास किया गया वह प्रधानमंत्री मोदी की उसे मानसिकता को बताने के लिए काफी है कि वह अब भी हवा हवाई बातों और मुद्दों पर चुनाव जीतने का मंसूबा पाले बैठे हैं। जिन लोगों ने वह राहुल गांधी का शक्ति के खिलाफ लड़ाई वाला भाषण सुना होगा वह देश के प्रधानमंत्री के कल शक्ति भाषण को सुनकर क्या सोच रहे होंगे अब उतना भी विवेक अगर किसी पार्टी व उसके नेताओं में नहीं रह गया है इसे उनकी हताशा ही कहा जा सकता है। नरेंद्र मोदी ने बीते दोनों चुनाव में अपने चेहरे पर भाजपा को चुनाव भले ही जीता दिए हो लेकिन वर्तमान के हालात 2014 व 2019 के बिल्कुल अलग है जिस सोशल मीडिया में मोदी और उनकी लोकप्रियता के सिवाय कुछ नहीं होता था उस सोशल मीडिया पर अब वर्तमान में क्या कुछ हो रहा है भाजपा के नेताओं को उस पर भी नजर डालने की जरूरत है।

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