गरीबों का उपहास कब तक?

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क्या आप इस बात पर यकीन कर सकते हैं कि अब देश से गरीबी समाप्त होने वाली है? आपको यकीन हो न हो लेकिन केंद्र सरकार को इसका पूरा यकीन है उसका दावा है कि बीते कुछ सालों में उसने देश के 25 करोड लोगों को गरीबी से बाहर निकाल दिया है और अब देश में सिर्फ 7 करोड़ (5 फीसदी) लोग ही गरीब बचे हैं। यह दवा अर्जी फर्जी नहीं है। ऐसा दावा एनएसएसओ की सर्वे रिपोर्ट में किया गया है। इस सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि इन पांच फीसदी गरीबों में से जो गांवों में रहने वाले गरीब है वह सिर्फ 46 रूपये प्रतिदिन में अपना गुजारा करने वाले हैं और जो शहरों में रहने वाले हैं वह 76 रुपए रोज खर्च कर पाते हैं। आप सहज ही सोच सकते हैं कि 46 और 76 रुपए रोज में एक आदमी अपनी रोटी, कपड़ा, दवाई, पढ़ाई और आवागमन की जरूरतों को भला कैसे पूरा कर पाता होगा। क्या सरकार द्वारा उसे जो 5 किलो मुफ्त का महीने में राशन दिया जा रहा है वह उसको जिंदा रखने के लिए काफी है। एक सवाल आपके मन में यह भी उठ रहा होगा कि अगर देश की 140 करोड़ की आबादी में सिर्फ पांच फीसदी यानी 7 करोड़ लोग ही शेष बचे हैं जो गरीब है तो सरकार 80 करोड़ लोगों को गरीब बताकर उन्हें मुफ्त का राशन क्यों दे रही है। 73 करोड़ वह कौन से लोग हैं जो गरीबों के हिस्से के मुफ्त राशन को खा रहे हैं क्यों सरकार इनके राशन कार्डों को रद्द नहीं कर देती? क्या सरकार को इस बात का डर है कि मुफ्त का राशन खाने वालों का राशन बंद किया तो 73 करोड़ वोट हाथ से फिसल जाएंगे सच और झूठ क्या है इसका फैसला आप खुद कीजिए। सरकार अगर 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाल चुकी है तो क्यों देश के 35 करोड लोगों के पास एक टू व्हीलर तक नहीं है और क्यों 45 करोड़ लोगों के पास एक टीवी तक नहीं है? यह सवाल हम नहीं कर रहे हैं एनएसएसओ की इस रिपोर्ट में ही यह बात भी की गई है। आदमी के पास अगर पैसा होता है तो सुविधाओं पर खर्च करता है सुविधा विहीन रहकर जीवन नहीं काटता है यह सभी जानते हैं। बीते कुछ सालों में लोगों की सेविंग दर 11 फीसदी से पांच फीसदी पर आ गई है जो यह बताता है कि लोग बचत कर तो नहीं पा रहे हैं बचत जो कर भी रखी थी उसे भी खा रहे हैं। बेरोजगार युवा और किसानों की आत्महत्याओं में इजाफा क्यों हो रहा है क्यों देश में करोडों़ महिलाएं व बच्चे कुपोषण के कारण मर रहे हैं। हंगर इंडेक्स में भारत क्यों आगे जा रहा है? अनेक सवाल हैं जो आपके मन को मथते दिखेंगे। अगर देश में सब कुछ ठीक ही चल रहा है और चंगा है तो ऐसी स्थिति क्यों है समाज की वास्तविक स्थिति और जमीनी स्थिति के इस फर्क को समझना जरूरी इसलिए भी है क्योंकि अब अच्छे दिनों के बाद हम विकसित भारत के नागरिक बनने जा रहे हैं जहां सब कुछ आंकड़ों में शाइनिंग होता है धरातल पर नहीं। 25 करोड़ की गरीबी मिटा दी तो 7 करोड़ तो कुछ भी नहीं आने वाले एक—दो साल में देश से वैसे ही गरीबी मिट जाएगी जैसे 1970 के दशक में कांग्रेस ने मिटा दी थी और 2004 में भाजपा ने शाइनिंग इंडिया का नक्शा बना दिया। खुश रहो क्योंकि अब हम विकसित भारत के नागरिक बनने जा रहे हैं।

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