लोकतंत्र की हत्या?

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अब तक विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा लोकतंत्र की हत्या की बात कहा जाना अपने अनेक बार सुना होगा लेकिन अगर देश की सर्वाेच्च न्यायालय किसी मुद्दे को लेकर यह टिप्पणी करेगी यह लोकतंत्र की हत्या है तो इसकी गंभीरता को देश के हर नागरिक को समझना अत्यंत ही जरूरी है। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह टिप्पणी 30 जनवरी को हुए चंडीगढ़ के मेयर चुनाव को लेकर की गई है। उन्होंने इस चुनाव की प्रक्रिया को लोकतंत्र का मजाक बताते हुए इसे लोकतंत्र की हत्या कहा है। खास बात यह है कि इस चुनाव को कड़ी सुरक्षा और वीडियो रिकॉर्डिंग की निगरानी में कराये जाने के आदेश भी अदालत द्वारा ही दिए गए थे। लेकिन इसके बाद भी 2 साल से सत्ता पर काबिज भाजपा ने इस चुनाव में इतने व्यापक स्तर पर और डंके की चोट पर यह धांधली की जिसका कच्चा चिट्ठा सीसीटीवी में कैद है कि इसके लिए अन्य किसी साक्ष्य की भी जरूरत नहीं है। भाजपा के जिस नेता को चुनाव में प्रोसीडिंग अफसर बनाया गया था उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने, सारे दस्तावेज कोर्ट में जमा कराने और म्युनिसिपल बोर्ड की बैठकों पर रोक लगाने के भी निर्देश जारी किए गए हैं। कोर्ट ने प्रोसिडिंग अफसर को वैलिड पेपरों से छेड़छाड़ का आरोपी बताया गया है जिसने आप और कांग्रेस के 20 में से 8 मतों को अवैध घोषित करने का कारनामा किया था वह अब ढूंढे भी नहीं मिल रहा है। खास बात यह है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इसे इंडिया गठबंधन की पहली हार बताते हुए कहा था कि उसका भविष्य यही है। सर्वाेच्च न्यायालय में इस पर अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी। लेकिन कोर्ट की इतनी गंभीर टिप्पणी के कारण भाजपा की चारों ओर जो छी छलेदर हो रही है वह शर्मसार करने वाली है। इस घटना के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे ने तो यहां तक कह दिया था कि देश में लोकतंत्र खत्म हो चुका है और 2024 का चुनाव अंतिम चुनाव है। वहीं अरविंद केजरीवाल का तो कहना था कि भाजपा चुनाव हार भी जाए तब भी वह ट्रंप की तरह आसानी से सत्ता नहीं छोड़ेगी। आज सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी से तो इस बात की पुष्टि हो गई है कि देश से अब वास्तव में लोकतंत्र खत्म हो चुका है और उसकी जगह लठ्ठ तंत्र ने ले ली है। इससे पूर्व शायद आजादी मिलने से लेकर आजादी के अमृत काल तक आते—आते हमारे उस लोकतंत्र की स्थिति यह हो जाएगी यह शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा। देश के स्वतंत्रता के इतिहास में यह शायद पहला मौका है कि देश की सर्वाेच्च अदालत ने यह कहा हो कि यह लोकतंत्र की हत्या है। देश के लोगों और खास कर नेताओं को इस पर गौर करने की जरूरत है कि क्या यही हमारा विश्व का सबसे पुराना और बड़ा तथा मजबूत लोकतंत्र है? जिसका दंभ हम सारी दुनिया को दिखाते हैं। लोकतंत्र को इस हालात में लाने वाले देश के नेताओं को अपने गिरेबान में जरूर झांकना चाहिए क्योंकि उन्होंने ही लोकतंत्र को इस स्थिति में पहुंचाया है।

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