जी हां! आएगा यूसीसी और अब छाएगा भी यूसीसी। भूल जाइए की यूसीसी केंद्र का मुद्दा था या राज्य का। उत्तराखंड के सीएम धामी ने इसकी घोषणा की और इसका ड्राफ्ट तैयार कराया और अब ड्राफ्ट पर केंद्र में बैठे नेताओं से मशवरा करने वह दिल्ली पहुंच गए हैं। एक दो दिन में ही इसका विधिक परीक्षण भी हो जाएगा और इसे कैबिनेट की मंजूरी भी मिल जाएगी। कुछ ही दिनों की बात है यूसीसी न सिर्फ उत्तराखंड में लागू हो जाएगा बल्कि लोकसभा चुनाव से पूर्व इसे पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा। इसमें किसी को कोई संशय नहीं होना चाहिए। यूसीसी क्या है अभी इसके बारे में सिर्फ सही जानकारी यही है कि एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भाजपा की परिकल्पना के सफर में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) वह मील का पत्थर है जो सभी देशवासियों को धर्म, जाति, क्षेत्र और संप्रदाय से ऊपर उठकर एक देश एक विधान और एक संविधान की परिसीमा में बाधेंगा। भले ही इस देश की अनेकता में एकता बड़ी पहचान और विशेषता रही हो, अपनी अलग—अलग भाषा बोली, रीति रिवाज और वेशभूषा अलग—अलग रहे हो लेकिन देश के सभी लोगों के लिए अब कानून एक समान ही होगा। अब तक जैसे सभी धर्म और संप्रदायों द्वारा अपने—अपने विधान और संविधान के हिसाब से समाज को संचालित किया जाता रहा है वह अब आगे इस देश में नहीं चलेगा। अभी बीते कल ही यूसीसी का ड्राफ्ट समिति द्वारा मुख्यमंत्री धामी को सौंपा गया है जो सदन के पटल पर रखे जाने तक एक गोपनीय दस्तावेज है लेकिन इसके बारे में कोई स्पष्ट जानकारी न होने के बावजूद भी सोशल मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया तक तमाम तरह की खबरें छाई हुई है। भले ही यह खबरें हवा हवाई ही सही लेकिन इस यूसीसी को लेकर होने वाली चर्चाओं और उसके असर लोगों की चिंता को बढ़ाने के लिए काफी है। पूरे देश की निगाहें अब उत्तराखंड पर लगी हुई है हर कोई यह जानने के लिए उत्सुक है कि यूसीसी आखिर है क्या? खैर इसका खुलासा भी अब दो—चार दिन में ही हो जाएगा। लेकिन इसके साथ ही यह एक राष्ट्रीय चर्चा का विषय और सबसे बड़ा एक चुनावी मुद्दा भी रहने वाला है। यूसीसी ऐन चुनाव से पूर्व लाये जाने का मकसद भी यही है। हम अभी इसके बारे में सिर्फ इतना ही कह सकते हैं कि यूसीसी महिलाओं के सशक्तिकरण का अहम दस्तावेज हो सकता है। इससे देश की आधी आबादी को अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है। क्योंकि बीते कुछ समय से केंद्र सरकार और भाजपा शासित राज्यों में महिलाओं को सर्वाेच्च पदों पर तैनाती दिए जाने का सिलसिला जारी है। केंद्र सरकार द्वारा उन्हे 33 फीसदी आरक्षण देने वाले विधेयक की बात हो या राधा रतूड़ी के राज्य की पहली महिला मुख्य सचिव व रितु खंडूरी के राज्य की पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाने की। अब देखना यह होगा कि यूसीसी लोकसभा चुनाव में क्या गुल खिलाता है लेकिन यूसीसी आएगा भी और छाएगा भी यह तय है।