चमत्कार को नमस्कार

0
181


भले ही चंद साल पहले तक कोई धीरेंद्र शास्त्री का नाम तक न जानता हो लेकिन जब से वह सनातन धर्म और हिंदुत्व की रक्षा की ध्वजवाहक के रूप में अवतरित हुए पूरे देश में उनके नाम का डंका बज रहा है। लाखों करोड़ों की भीड़ उनके आगे पीछे है। यह चमत्कार नहीं तो और क्या है और चमत्कार को सभी नमस्कार करते हैं। दून में उनका दरबार लगा तो समर्थकों का सैलाब उमड़ पड़ा भले ही वह तय कार्यक्रम से चार घंटे देरी से पहुंचे हो लेकिन उनके चाहने वाले सुबह से ही कार्यक्रम स्थल पर डेरा जमाए रात तक उनका इंतजार करते रहे। पूर्व केंद्र मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक और काबीना मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने एयरपोर्ट पर उन्हें गुलदस्ता देकर उनका स्वागत किया। देवभूमि की संस्कृति में अतिथि देवो भव की परंपरा सदियों से चली आ रही है और वैसे भी धीरेन्द्र शास्त्री पहली बार देवभूमि पधारे थे। जिस चमत्कार के लिए धीरेंद्र शास्त्री को जाना जाता है कि वह बिना पूछे ही सामने वाले को यह बता देते हैं कि वह यह जानने की जिज्ञासा लेकर आया है वैसा कोई चमत्कार उन्होंने यहां अर्जी लगाने वालों को दिखाया या नहीं यह तो पता नहीं लेकिन उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लैंड जिहाद के खिलाफ बुलडोजर वाली करवाई की तारीफ करते हुए उन्हे सनातन और संस्कृति का रक्षक बताया साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हे उत्तराखंड से सनातन और हिंदू राष्ट्र की शुरुआत होती दिख रही है। उन्होंने लोगों से सनातन की रक्षा के लिए खड़े होने का आह्वान भी किया। उनकी बात सुनकर कई लोगों के मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि सनातन को सदियों पुराना बताए जाने की जो बात कही जाती है तब क्या वह गलत है अगर नहीं तो धीरेंद्र शास्त्री किस सनातन के उत्तराखंड से शुरू होने की बात कह रहे हैं। कुछ लोग यह भी सोच रहे होंगे कि क्या सनातन धर्म पर कोई बड़ा खतरा आया हुआ है जिसकी रक्षा के लिए धीरेंद्र शास्त्री सभी से उनकी रक्षा के लिए खड़े होने की बात कर रहे हैं? या फिर इसके पीछे उनका कोई और मंतव्य रहा होगा। आमतौर पर हम सब लंबे समय से यह सुनते आ रहे हैं कि धर्म और राजनीति दो अलग—अलग विषय है। लेकिन यह सही मायने में पूरा सत्य नहीं है। इस अर्धसत्य का सहारा हमारे नेता अपने स्वार्थो के निहित ही करते आए हैं। देश में राजनीति और धर्म का जिस तरह से घालमेल हो चुका है वहां यह समझना बहुत कठिन ही नहीं असंभव हो चुका है कि क्या कुछ राजनीति के नितार्थ किया जा रहा है या हो रहा है और क्या कुछ धर्म की रक्षा के लिए या उसके प्रचार प्रसार के लिए। आम आदमी के मन और भावनाओं को भड़काने का काम जिस कौशल के साथ किया जा रहा है उसे समझना आसान काम नहीं है। धीरेंद्र शास्त्री के मंच पर अगर नेताओं और साधु संतों की मौजूदगी पर गौर किया जाए तो यह तय करना किसी के लिए भी संभव होगा कि यह एक राजनीति में धर्म का घालमेल है या फिर धर्म में राजनीति का। इस मंच पर मौजूद सीएम धामी भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए लोगों से एकजुट होने की अपील करते दिखे अगर भारतीय संस्कृति पर कोई ऐसा गंभीर संकट आया हुआ है तो उन्हें यह भी पता होगा कि वह संकट क्या है या उसके पीछे कौन है? जिससे मुकाबले के लिए आम आदमी को तैयार रहने को कहा जा रहा है। यह बड़ा चिंतनीय सवाल है कि लोग जिस चमत्कार को नमस्कार कर रहे हैं वह चमत्कार राजनीति का चमत्कार है या धर्म का अथवा धीरेंद्र शास्त्री का इसका फैसला तो लोगों को खुद ही करना पड़ेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here