सस्ता गैस सिलेंडर चुनावी शगुफा

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महंगाई की मार से से त्राहिमाम त्राहिमाम करती देश की जनता को बड़ी राहत देते हुए आज केंद्र सरकार ने घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत में सबसे बड़ी कमी करने की घोषणा कर दी गई है। दो सौ रूपये प्रति सिलेंडर की एक साथ कमी किए जाने से देश का वह आम आदमी इतना खुश है कि जैसे उसे कोई कुबेर का खजाना हाथ लग गया हो वहीं इस मूल्य वृद्धि और कटौती के गणित को जानने समझने वाले इस बात पर हैरान है कि जो सरकार कल तक पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमत घटने या बढ़ने के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में आने वाले उतार—चढ़ाव की बात लोगों को समझा कर यह कहते थे कि तेल कंपनियां इसकी हर माह समीक्षा करती हैं और वही बढ़ोतरी या कमी का फैसला करती हैं तो फिर अब केंद्र सरकार ने कैसे इतनी बड़ी कमी कर दी गई। केंद्र सरकार जो रसोई गैस और पेट्रोल—डीजल तथा उर्वरकों पर दी जाने वाली सब्सिडी को लगभग समाप्त कर चुकी है बिना सब्सिडी दिए ही उसने कैसे रसोई गैस की कीमतों में इतनी बड़ी कमी कर दी क्या तेल कंपनियों को होने वाले राजस्व घाटे की भरपाई केंद्र सरकार करेगी? बहुत ही गूढ़ थ्योरी है यह कीमतों में कमी और वृद्धि की। खैर राजनीतिक दल इस बड़ी कटौती के पीछे तीन राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं तो वहीं इस कटौती को 2024 के आम चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है। विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के नेता इसे भाजपा के उस डर के रूप में देख रहे हैं जो 2024 के चुनाव में मिलने वाली हार का कहा जा रहा है उनका तो यहां तक कहना है कि देखते जाओ अभी चुनाव से पहले क्या—क्या और कितना सस्ता होता है। विपक्षी नेता इसे भाजपा का एक चुनावी शगुफा बता रहे हैं वहीं प्रधानमंत्री मोदी भी अपने देश की जनता या प्यारे देशवासियों जिसे अब वह अपने परिजनों कहकर संबोधित करते हैं उन्हें यह कह कर प्रचारित कर रहे हैं कि रक्षाबंधन और अन्य त्योहारों पर अपनी बहनों के लिए वह तोहफा बता रहे हैं और कह रहे हैं कि वह उन्हें दुखी नहीं देख सकते हैं। सवाल यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 9 साल बाद इन बहनों के दुख की बात क्यों याद आई है 2014 में जो रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 410 रुपए के आसपास थी वह रसोई गैस सिलेंडर 1150 रुपए तक पहुंच गया किंतु प्रधानमंत्री मोदी को एक बार भी अपनी बहनों की परेशानी नजर नहीं आई बीते 6 सालों में रसोई गैस पर दी जाने वाली सब्सिडी को सरकार ने लगभग शून्य कर दिया। उज्जवला योजना के लाभार्थियों को सरकार फ्री गैस सिलेंडर उपलब्ध नहीं करा सकी और चूल्हा फूंकने पर ही वह विवश होती रही मगर सरकार को एक बार भी उनकी याद नहीं आई। 9 सालों में गैस सिलेंडर के दामों में 693 रुपए की वृद्धि हुई है जो 56 फीसदी से भी अधिक है। राजस्थान जैसे राज्यों की सरकार इस दौर में भी 500 रूपये में सभी को गैस सिलेंडर उपलब्ध करा रही है। बात यह है कि चुनाव से पूर्व भाजपा के नेताओं को अब यह समझ आ रहा है कि बढ़ती महंगाई 2024 में उनकी नैय्या को डुबो सकती है लेकिन यह महंगाई सिर्फ गैस सिलेंडर तक सीमित नहीं है जब टमाटर के भाव 250 रुपए किलो हो सकते हैं तो कहां—कहां से महंगाई की मार को कम किया जा सकता है। बीते 9 सालों में दूध, दही, मक्खन, तेल, घी सब पर तो जीएसटी वसूला जा रहा है। महंगाई ने गरीब व आम आदमी की कमर कैसे तोड़ी है यह बस देश की गरीब जनता ही जानती है यह कटौती सिर्फ ऊंट के मुंह में जरा भर है जो चुनावी शगूफे जैसा ही है।

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