जनादेश के बड़े मायने

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पूर्वाेत्तर के जिन तीन राज्यों त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय के कल चुनावी नतीजे आए हैं वह अप्रत्याशित नहीं है। जहां इन नतीजों के ऐसे ही आने का संकेत एग्जिट पोल के नतीजों से दिया जा चुका था वहीं भाजपा द्वारा इन चुनावों को जितनी गंभीरता के साथ लड़ा गया था उससे पहले ही यह साफ दिखने लगा था कि त्रिपुरा और नागालैंड में जहां भाजपा गठबंधन ने फिर सत्ता में बने रहने और मेघालय में सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर सामने आकर एनपीपी को अपना समर्थन देकर अपनी सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित कर ली है उसे भाजपा की बड़ी उपलब्धि कहा जा सकता है। 1998 में जब भाजपा ने पहली बार त्रिपुरा की 4 सीटों पर अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे थे तो उसके चारों प्रत्याशियों की जमानत जप्त हो गई थी। 25 साल पहले शुरू हुआ भाजपा का यह सफर अब उस मुकाम तक पहुंच गया है जब इन पूर्वाेत्तर के तीनों राज्यों की 180 विधानसभा सीटों में से 135 सीटों पर चुनाव लड़कर 45 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाबी हासिल की है। निश्चित तौर पर यह भाजपा के लिए एक बड़ी सफलता है। इस जीत के पीछे भाजपा नेताओं का वह जुझारूपन है जो बीते कुछ सालों में हर चुनाव में देखा जाता रहा है। भले ही पूर्वाेत्तर के इन छोटे—छोटे राज्यों को अन्य दूसरे राष्ट्रीय दलों द्वारा गंभीरता से न लिया गया हो लेकिन भाजपा नेताओं द्वारा इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक कर काम किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ—साथ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तक चुनाव प्रचार में जुटे रहे उसका नतीजा अब सामने हैं। सच में ऐसे बड़े बुलंद इरादों और हौसलों के बिना कोई भी ऊंची उड़ान नहीं उड़ी जा सकती है। कांग्रेस कभी जिसका पूर्वाेत्तर में दबदबा हुआ करता था, द्वारा इन चुनावों को गंभीरता से न लिया जाना और अब चुनाव परिणामों के बाद यह कहकर अपनी नाकामयाबी से पल्ला झाड़ लेना कि जिन राज्यों का यही ट्रेंड रहा है कि वहां के लोग उसके ही साथ खड़े होते रहे हैं जिसकी केंद्र में सरकार होती है, उसकी हौसलापस्ती का ही सबूत है। पूर्वाेत्तर राज्यों के इस चुनावों को लोकसभा चुनाव 2024 का लिटमस टेस्ट माना जा रहा था। अगर यह मान लिया जाए तो आप आसानी से यह समझ सकते हैं कि केंद्र में भाजपा हैट्रिक लगाने को तैयार है। खास बात यह है कि भले ही इन तीन राज्यों में किसकी सरकार बनी और किसने कितनी सीटें जीती इसका कोई मतलब नहीं है लेकिन इन्हीं तीन राज्यों में लोकसभा की 26 सीटें आती है। 2024 का लोकसभा चुनाव जिस तरह भाजपा और समूचे विपक्ष के बीच होने जा रहा है उस दृष्टिकोण से हर एक सीट कितनी महत्वपूर्ण होगी इसे सहज समझा जा सकता है फिर इन 3 राज्यों की 26 सीटें कितनी महत्व की होगी इसे भाजपा अच्छी तरह जानती है और उसने अभी से यहां अपनी स्थिति मजबूत बना ली है। एक अन्य महत्वपूर्ण बात इन चुनाव नतीजों के बारे में अहम है वह है पहली बार नागालैंड चुनाव में किसी महिला का चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचना। 2 महिलाओं ने इस चुनाव में जीत दर्ज कर जो इतिहास रचा है वह दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकती है। एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति पद पर पहुंचाने और नागालैंड में 2 महिलाओं का एमएलए बनना महिला सशक्तिकरण की ओर बड़ा कदम माना जा सकता है।

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