तुम्हारी भी जय—जय, हमारी भी जय—जय

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चुनाव भले ही 2 राज्यों की विधानसभा और एक नगर निगम तथा कुछ सीटों पर हुए उपचुनाव का रहा हो लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर इसका महत्व क्या था इसे नकारा नहीं जा सकता है। चुनाव नतीजे आने के बाद इस चुनाव में भागीदार बने सभी राजनीतिक दल और नेता खुश हैं सभी जश्न मना रहे हैं आमतौर पर ऐसा होता नहीं है लेकिन वर्तमान चुनाव सभी राजनीतिक दलों और नेताओं को संतोषप्रद रहे हैं। भाजपा के हाथ से भले ही एमसीडी की सत्ता चली गई हो जहां बीते 15 सालों से उसका कब्जा था लेकिन गुजरात में रिकॉर्ड और ऐतिहासिक जीत से भाजपा नेताओं के चेहरे खिले हुए हैं। भाजपा भले ही गुजरात की सत्ता पर 27 वर्षों से काबिज सही लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के लिए अपने गृह राज्य में यह चुनावी जीत उनकी ही नाक का सवाल नहीं था बल्कि भाजपा के भविष्य का आधार कहा जा सकता है। गुजरात में हार का मतलब होता भाजपा की राष्ट्रीय हार। यही कारण था कि भाजपा के नेताओं और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस चुनाव की तैयारिया सालों पहले से करनी शुरू कर दी थी। भाजपा को गुजरात में जो जीत मिली है वह कोई एक दिन की मेहनत नहीं है इसके लिए सालों से काम किया जा रहा था यह अलग बात है कि यह जीत इतनी बड़ी होगी यह शायद भाजपा के नेताओं ने भी नहीं सोचा था। एमसीडी या हिमाचल की सत्ता हाथ से चली गई भाजपा को इसका इतना मलाल नहीं हो सकता लेकिन गुजरात हाथ से चला जाता तो इसका मलाल और दुख शायद इससे 100 गुना ज्यादा होता। आम आदमी पार्टी जो गुजरात में सत्ता बदलने का लिखित दावा कर रही थी भले ही 5 सीटों पर सिमट गई हो लेकिन उसे गुजरात की हार का कोई मलाल नहीं हो सकता है क्योंकि यहां भी उसने कुछ खोया नहीं है कुछ न कुछ पाया ही है जिसके दम पर वह राष्ट्रीय राजनीतिक दल बनने का दावा ठोक रही है हां एमसीडी का चुनाव जीतना उसकी बड़ी कामयाबी है जो दिल्ली में उसके और अधिक मजबूत होने की उम्मीद जगाता है। यही कारण है कि आप के नेता चुनाव नतीजों के बाद जश्न मना रहे हैं। कांग्रेस को एमसीडी और गुजरात चुनाव में शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा लेकिन वह हिमाचल में अपनी सरकार बनाने में सफल रही। निश्चित तौर पर कांग्रेस के लिए यह जीत किसी संजीवनी से कम नहीं है। कम से कम एक राज्य में उसकी सरकार बनने से एक उम्मीद की किरण जरूर जगी है। इस जीत ने कांग्रेसी नेताओं को भी जश्न मनाने और मुस्कुराने का मौका दिया है। उधर अपने र्दुदिनों से जूझ रही सपा मैनपुरी की संसदीय सीट पर डिंपल की रिकॉर्ड जीत व खतौली में गठबंधन सहयोगी आरएलडी की जीत पर खुश है। अपनी विरासत बचाने की खुशी भी कम नहीं होती है। इन चुनावों के नतीजे बताते हैं कि सभी की जीत हुई है और कोई हारा नहीं है लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव कैसे रहेंगे यह भले ही समय बताएगा लेकिन सभी पूरे दमखम से मैदान में उतरेंगे यह जरूर तय हो गया है।

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