अच्छे दिन आने वाले हैं क्योंकि हम मोदी जी को लाने वाले हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव का आकर्षण बने इस जुमले को याद करके अब इस देश की जनता अपना सिर धुनने पर मजबूर है। भाजपा जो कभी महंगाई के मुद्दे को लेकर कांग्रेस (यूपीए) सरकार को पानी पी पीकर कोसती थी आज उसके शासनकाल में महंगाई ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। दुखद बात यह है कि राजनीति के चतुर पुरोधा और भाजपा नेता अभी भी इस मुद्दे पर विपक्षी दलों को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। बीते कल प्रधानमंत्री मोदी ने गैर भाजपा शासित राज्यों की सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा गया कि उन्होंने अपने राज्यों में पेट्रोल—डीजल पर वैट कम न करके अपने राज्य की जनता के साथ अन्याय किया है। उनके इस विचार व वक्तव्य से विपक्षी दलों का आग बबूला होना स्वाभाविक ही था। उन्होंने सवाल खड़ा किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने उस मध्य प्रदेश का नाम क्यों नहीं लिया जहां भाजपा की सरकार सबसे अधिक वैट वसूल कर रही है और पेट्रोल की कीमत 120 के पार पहुंच चुकी है। प्रधानमंत्री ने कुछ चुनिंदा राज्यों जहां भाजपा की सरकारें हैं उनके साथ पश्चिमी बंगाल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु जैसे राज्यों के पेट्रोल डीजल की कीमतों का ही उल्लेख क्यों किया? विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार ने तेल पर टैक्स से सबसे अधिक और रिकॉर्ड कमाई की है वहीं जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें 80 डॉलर प्रति बैरल तक नीचे आ गई थी तब उसका लाभ जनता को देने की बजाय सरकारी खजाने को भरने में किया गया। जी हां यही सत्य है कि तेल की कीमतों के निर्धारण में अपनी भूमिका से पल्ला झाड़ने और अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों के अनुसार तेल की कीमतो के घटने बढ़ने की बात करने वाली केंद्र सरकार ने तेल पर टैक्स से रिकार्ड कमाई की है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम हुई कीमतों का लाभ जनता को नहीं मिले दिया गया है। अब जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें ऊपर जा रही हैं और देश भर में पेट्रोल डीजल की कीमतों ने आग लगा रखी है तब भी केंद्र सरकार अपने टैक्स को घटाने को तैयार नहीं है। उल्टा वह राज्य सरकारों को विषम आर्थिक परिस्थितियों का हवाला देकर टैक्स कम करने की अपील कर रहे हैं। इस तेल के खेल को भले ही आम आदमी न समझ सके लेकिन नेता सभी अच्छे से जानते समझते हैं। केंद्र व राज्य सरकार डीजल और पेट्रोल पर 55 से 60 प्रतिशत टैक्स वसूल रही हैं जिसमें केंद्र का हिस्सा राज्यों से काफी अधिक है। चुनावों से पूर्व सरकार ने सिर्फ दिखावे के लिए टैक्स घटाया गया और अब जब जनता पेट्रोल डीजल व रसोई गैस की महंगाई से कराह रही है जिसका प्रभाव पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है सरकार अभी भी जनता के बारे में सोचने को तैयार नहीं है सरकार इस तेल पर जो खेला कर रही है वह जनता के घावों पर नमक छिड़कने जैसा है।