प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा द्वारा अभी पार्टी के अंदर भीतरघातियों की मौजूदगी और उनसे सतर्क रहने की जो बात कही गई है उसे लेकर कांग्रेस नेताओं में भले ही घमासान मचा हो लेकिन प्रदेश अध्यक्ष का बयान निराधार नहीं है। माहरा का कहना है कि कुछ लोग दिखते तो कांग्रेसी है लेकिन कांग्रेसी है नहीं। वह कांग्रेस भवन में दिन भर बैठे रहते हैं और रात को भाजपा नेताओं के घर होते हैं। अपनी गर्लफ्रेंडस् को भाजपा की सदस्यता दिलाते हैं। उनका कहना है कि भाजपा ने कांग्रेस के अंदर अपने घुसपैठिए छोड़े हुए हैं जो भाजपा के लिए मुखबिरी का काम करते हैं। निश्चित तौर पर कांग्रेस के लिए इस स्थिति को अच्छा नहीं माना जा सकता है लेकिन इसके साथ यह भी सही बात है कि आप अपने घर की रखवाली तो कर नहीं पा रहे हैं और दोष चोरों के सर मढ़ रहे हैं। कहा जाता है कि राजनीति में कुछ भी जायज या नाजायज नहीं होता है। अपने प्रतिद्वंदी को कैसे कमजोर करना है और खुद को कैसे मजबूत करना है यही तो आज की राजनीति है। इस खेल में साम—दाम—दंड—भेद सभी हथकंडे अपनाए जाते हैं। चुनाव से पूर्व नेताओं द्वारा व्यापक स्तर पर जो दलबदल देखने को मिलता है वह क्या है? अपनी सरकार बचाने और बहुमत से पूर्व अपने विधायकों को शहर—शहर होटलों और रिजार्ट में लेकर घूमने की जरूरत राजनीतिक दलों को क्यों पड़ती है? सत्ता के लिए विधायकों की खरीद—फरोख्त क्यों होती है? इस दौर की राजनीति का सच यही है। उत्तराखंड कांग्रेस तो इस सबको बहुत करीब से देख और भोग चुकी है। हरीश रावत सरकार को गिराने का जो षड्यंत्र कांग्रेसी नेताओं द्वारा भाजपा के साथ मिलकर रचा गया था उससे हम सभी अच्छे से वाकिफ हैं। भले ही इस षड्यंत्र में बागी कांग्रेसी और भाजपा सफल नहीं हो सकी थी लेकिन उस समय कांग्रेस के दर्जनभर नेताओं के दलबदल की घटना ने कांग्रेस को जो डेंट दिया था वह अभी तक नहीं भरा जा सका है भले ही यशपाल आर्य और डा. हरक सिंह जैसे कुछ नेताओं की वापसी कांग्रेस में हो गई हो लेकिन कांग्रेस पहले की तरह मजबूत आज तक भी नहीं हो सकी है। आज के दौर में अपनी मजबूती के साथ दूसरे को कमजोर बनाने की रणनीति को ज्यादा कारगर माना जा रहा है। बीते कुछ सालों में गोवा से लेकर महाराष्ट्र तक कई राज्यों में बहुमत से जीतकर आई सरकारें सत्ता से बाहर हो चुकी हैं। प्रदेश कांग्रेस के लिए यह चिंता का विषय इसलिए भी है क्योंकि कांग्रेस जहां अपने आंतरिक मतभेदों और मनभेदों से जूझ रही है वहीं अगर कांग्रेस के अंदर भाजपा के एजेंटों की घुसपैठ है तो उसका कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे लोगों को तत्काल पार्टी से बाहर किया जाना चाहिए जो कांग्रेस का चोला ओढ़कर भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। खास बात यह है कि कांग्रेस आज उत्तराखंड में ही नहीं राजस्थान सहित तमाम राज्यों में कुछ ऐसी परिस्थितियों से जूझ रही है जो उसके भविष्य के लिए मुसीबत साबित हो रहे हैं।