उत्तराखंड की वर्तमान सरकार द्वारा राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त करने की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया गया है। बीते कल कैबिनेट की बैठक में बनी सहमति के बाद राजस्व पुलिस क्षेत्र में 4 नए थाने और 20 चौकियां खोलने का जो फैसला लिया गया है उससे साफ हो गया है कि आने वाले समय में राजस्व पुलिस का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। दरअसल यह काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था। देश में एकमात्र उत्तराखंड ही ऐसा राज्य है जहां इस तरह की दोहरी पुलिस व्यवस्था है। 160 साल पुरानी इस व्यवस्था के तहत पटवारी, लेखपाल और कानूनगो ही आपराधिक मामलों की रिपोर्ट दर्ज करने से लेकर जांच तक का काम करते हैं। भू अभिलेखों के कामों को देखने के साथ—साथ पुलिसिंग का काम करने वाली राजस्व पुलिस अपने किसी भी काम को ठीक से नहीं कर पाती है। न ही इनके पास इसके लिए आधुनिक संसाधन और तकनीक है न ही कोई सुविधा। लेकिन राज्य के 61 फीसदी हिस्से को आज भी राजस्व पुलिस ही संभाले हुए हैं। राजस्व पुलिस की निष्क्रियता, बदलते समय की जरूरतों को देखते हुए 2018 में नैनीताल हाई कोर्ट द्वारा सरकार को इस राजस्व पुलिस के कामों को रेगुलर पुलिस को सौंपने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन तब सरकार द्वारा अपनी वित्तीय मजबूरियों का हवाला देते हुए इसे मानने से इंकार कर दिया गया था और इस फैसले के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई थी। यह हो सकता है कि अगर अंकिता हत्याकांड न हुआ होता तो अभी भी सरकार इस व्यवस्था के बदलाव के बारे में सोचने की कोई जरूरत नहीं समझती। अंकिता हत्याकांड में राजस्व पुलिस की जिस तरह आरोपियों से सांठगांठ और उन्हें बचाने का प्रयास करने की भूमिका सामने आई उसके बाद सरकार को इसे समाप्त करने पर सोचने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इस जघन्य अपराध के बाद विधानसभा स्पीकर द्वारा मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखने के अलावा सत्ता पक्ष के कई अन्य विधायकों ने यह सवाल उठाए थे कि इस व्यवस्था को जल्द समाप्त किया जाना चाहिए। दरअसल पहाड़ के कई दूरस्थ क्षेत्रों में नशे की खेती भी होती है और इस खेती से कई प्रभावशाली लोग भी जुड़े हैं जो यह नहीं चाहते कि उनके क्षेत्र में रेगुलर पुलिस की व्यवस्था हो क्योंकि इससे उनका नशे का धंधा बंद हो जाएगा। वही नया राज्य बनने के बाद सरकार के सामने वित्तीय संकट या कमी भी इस पर फैसला न ले पाने का एक कारण हो सकता है। लेकिन देर से ही सही इस पर अब अगर धामी सरकार द्वारा कदम आगे बढ़ा दिया गया है तो इसे जितनी जल्दी पूरा किया जा सके उतनी जल्दी पूरा करना चाहिए। इससे रोजगार सृजन के भी अवसर पैदा होंगे और एक सड़ी गली व्यवस्था से मुक्ति भी मिलेगी।