कानून व्यवस्था के प्रति लापरवाही

0
392


बीते कल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश की कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सूबे के आला अफसरों के साथ समीक्षा बैठक की। अब तक की सरकारों के लिए शायद उत्तराखंड में कानून व्यवस्था कोई मुद्दा रहा ही नहीं इसलिए सरकारों ने कभी इस तरफ ध्यान देने की कोई जरूरत नहीं समझी। कानून व्यवस्था से जुड़ी घटनाएं अगर गाहे—बगाहे सामने आई भी तो इन घटनाओं को दो—चार दिन में भुला दिया जाना शासन—प्रशासन की आदत बन चुकी है। उत्तराखंड के नेता और अधिकारी शायद यही समझते रहे हैं कि उत्तराखंड कोई उत्तर प्रदेश नहीं है लेकिन उनकी इस सोच का नतीजा है कि उत्तराखंड में हर तरह के अपराध अब आम हो गए हैं। जिन भर्ती घोटालों को लेकर अब प्रदेश में हंगामा मचा हुआ है तथा पेपर लीक मामले के आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद उनकी करोड़ों की अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने की बात हो रही है। अंकिता भंडारी मर्डर केस के खुलासे के बाद अब सरकार का ध्यान अवैध रिजार्ट और होमस्टे तथा होटलों पर गया है जहां से तमाम तरह के अपराध संचालित हो रहे हैं। राज्य में नशा तस्कर और सेक्स रैकेट चलाने का कारोबार लंबे समय से जारी है अब तक समय—समय पर अनेक घटनाएं प्रकाश में आती रही हैं जिन्हें चंद दिनों में ही ठंडे बस्ते पर डाल दिया जाता है अभी हरिद्वार जनपद में जहरीली शराब से कई लोगों की मौत हो गई थी यह कोई पहली घटना नहीं थी इससे पहले दून में जहरीली शराब कहर बरपा चुकी है। सवाल यह है कि इन अपराधियों को हमेशा नजरअंदाज किया जाता रहा है या फिर इन अपराधों से जुड़े प्रभावशाली लोगों के कारण इनकी जांच पड़ताल की भी जरूरत नहीं समझी गई और मामले को दबा लिया गया। नेता और अधिकारियों के संरक्षण में जो अपराध फलते फूलते हैं उनका बहुत जल्द ही वटवृक्ष बनना तो होता ही है साथ ही एक समय ऐसा आता है कि इन पर नियंत्रण भी आसान नहीं होता है। ठीक वैसा ही अब तक उत्तराखंड में भी होता रहा है। नेताओं के लिए यहां बाहरी प्रदेश के लोगों को जिम्मेदार ठहराने या उन पर नजर रखने की बात उनका तकिया कलाम जैसा हो गया है साथ ही उनके अपने कारनामों पर किसी का ध्यान न जाए इसका एक जरिया बना लिया गया है। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद यहां के अधिकारियों और नेताओं ने या तो सरकारी जमीनों पर कब्जे किए या उन्हें खुर्द बुर्द किया है बाहर से आकर भला बिना किसी संरक्षण के कोई व्यक्ति क्या कर सकता है? लेकिन यह अच्छा है कि अंकिता के अपराधी और पेपर लीक के आरोपी नेताओं पर शासन प्रशासन का बुलडोजर चलना शुरू हो गया है और वह जेल की हवा खा रहे हैं। लेकिन राज्य की कानून व्यवस्था को जो दीमक लग चुकी है उसकी सफाई कोई आसान काम नहीं होगा रिजार्ट और होटलों तथा स्पा सेन्टरों को सीज करने से बात नहीं बनने वाली है जब तक इन मास्टर माइंडो के मास्टर माइंडों के ऊपर चाबुक नहीं चलेगा इस समस्या का समाधान संभव नहीं है। कानून व्यवस्था में सुधार की पहली कोशिश धामी ने की है इसके लिए वह साधुवाद के हकदार

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here