अति के अंत का समय

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कहा जाता है कि जब पाप का घड़ा भर जाता है तो उसका फूटना तय है। उत्तराखंड राज्य गठन से लेकर अब तक भ्रष्टाचार और घोटालों का इतिहास देखा जाए तो यह कहना कतई भी अतिशयोक्ति नहीं होगी कि इसकी अति हो गई थी। सत्ता में भले ही कांग्रेस रही हो या फिर भाजपा दोनों दलों के नेताओं और सूबे के अफसरों ने मिलकर दोनों हाथों से लूटने में कोई कोर कसर उठाकर नहीं रखी। आजकल जिन भर्ती घोटालों को लेकर देहरादून से दिल्ली और दिल्ली से लेकर नागपुर तक हंगामा मचा हुआ है वह बेवजह नहीं है और न बात सिर्फ सरकारी नौकरियों में हुई धांधालियोंं तक सीमित है। तमाम ऐसे वित्तीय घोटालों की है जो जमीनों और ठेकों से जुड़े हैं। एनएच 94 और कुंभ मेले के दौरान कराई गई कोरोना जांच तक में ऐसे सैकड़ों घोटाले हैं जिनमें करोड़ों की हेराफेरी की गई है। भले ही धामी सरकार सूबे के इन नेताओं और अधिकारियों के द्वारा राज्य में हुए भर्ती घोटालों में से दो चार की जांच करा लें, लेकिन राज्य गठन से लेकर अब तक किस किस विभाग में कितने घोटाले हुए इसकी फेरहिस्त बना पाना भी संभव नहीं है। बात चाहे छात्रवृत्ति घोटाले की हो या बीज घोटाले की, कुंभ घोटाले की हो या स्टूटर्जिया घोटाले की कोई एक काम तो होता जिसमें कोई घोटाला नहीं होता यहां तो कीटनाशक दवाओं के छिड़काव तक में भी घोटाले ही घोटाले होते रहे हैं। विधानसभा में हुई बैकडोर भर्तियों में भाजपा के नेताओं के सगे संबंधियों ने ही नौकरियां नहीं पाई अपितु संघ के चार पदाधिकारियों के बच्चे व रिश्तेदारों को नौकरियां बांट दी गई। जिसे लेकर संघ के दिल्ली और नागपुर तक संघ कार्यालय को असहज कर दिया है। भाजपा सरकार अब इन पापों को धोने के प्रयासोें में लगी हुई है मुख्यमंत्री धामी इन भर्तियों में हुई धांधलियों की जांच करा कर यह संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं कि हमने कम से कम इनकी जांच तो कराई या कुछ अवैध भर्तियों को रद्द तो कराया लेकिन क्या इतना कुछ किया जाना ही काफी है? राज्य के छात्र और युवा जब इन भर्तियों की जांच सीबीआई से कराने की मांग को लेकर प्रदेश व्यापी आंदोलन चला रहे हैं तो सरकार इसकी जांच सीबीआई को सौंपने की पहल क्यों नहीं करती है। क्यों भाजपा ने अभी तक अपने आरोपी मंत्रियों व पूर्व स्पीकर से इस्तीफा नहीं लिया गया है? जांच भले ही चल रही हो लेकिन यह किसी मुकाम तक पहुंचेगी यह अभी संदिग्ध है। जांच का भले ही चाहे जो परिणाम हो लेकिन अब एक बात तो साफ हो चुकी है कि बहुत हो चुका इस गड़बड़ झाले की अति हो चुकी है और इसका अंत भी सुनिश्चित है अब यह और ज्यादा आगे तक नहीं चल सकता है। सरकार अगर कुछ नही भी करेगी तो अब इस प्रदेश के युवा और मातृशक्ति कुछ ऐसा जरूर करेगी जो भ्रष्टाचारियों को सबक सिखा सके।

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