उत्तराखंड के भर्ती घोटालों से सूबे की राजनीति में जो भूचाल आया है वह सहज ष्टाांत होने वाला नहीं है चाहे सरकार अब इन्हें लेकर जितने सख्त फैसले ले ले, सवाल समाप्त नहीं हो सकते हैं। सही मायने में सवाल खत्म होने भी नहीं चाहिए क्योंकि यह कोई मामूली मुद्दा नहीं है। राज्य के युवा बेरोजगारों के साथ ष्टाासन—प्रष्ठाासन ने बीते दो दष्ठाकों में इतना बड़ा धोखा किया है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। राज्य के युवा ही नहीं बल्कि आम जनता भी नेता और अधिकारियों को पानी पी—पी कर कोस रहे हैं कि क्या इसलिए अलग राज्य की लड़ाई लड़ी गई थी। मुख्यमंत्री धामी और उनकी सरकार ने कल इस दिष्ठाा में एक और कदम आगे बढ़ाते हुए यूकेएसएसएससी के भर्ती अधिकार सीज कर दिए गए हैं यह आयोग अब कोई भी भर्ती परीक्षा नहीं करवाएगा साथ ही आयोग द्वारा कराई गई उन पांच भर्ती परीक्षाओं को भी रद्द कर दिया गया है जिनके लिए लिखित परीक्षाएं हो चुकी थी। यह परीक्षाएं अब लोक सेवा आयोग द्वारा कराई जाएंगी वहीं अन्य तमाम भर्तियां जो 7000 से अधिक हैं वह भी लोक सेवा आयोग ही कराएगा। भले ही सरकार द्वारा उठाया गया यह एक बड़ा कदम है लेकिन सवाल यह है कि यूकेएसएसएससी द्वारा इससे पूर्व कराई गई उन परीक्षाओं और धांधली से नौकरी पाने वालों का क्या होगा? और क्या होगा उन अधिकारियों व दलालों का जिनके कारण यह सब हुआ? इन भर्ती घोटालों के कारण अगर सबसे ज्यादा नुकसान किसी को हुआ है तो वह युवा ही है जिन्होंने मेहनत भी की और परेष्ठाानियां भी उठाई लेकिन उन्हें मिला कुछ नहीं। नौकरी के इंतजार में जो अपनी आयु सीमा पार कर चुके हैं उनके नुकसान की भरपाई भला कोई सरकार कैसे कर सकती है। धामी सरकार और भाजपा के पास आज युवाओं के किसी भी सवाल का जवाब नहीं है क्योंकि बीते 6 साल से वही सत्ता में हैं और इन 6 सालों में भाजपा के नेताओं ने भी इस भ्रज़्टाचार की बहती गंगा में गोते लगाए, दर्जनों नेताओं ने अपने सगे संबंधियों को सरकारी नौकरियां दी या दिलवाई है उनके द्वारा जो गुनाह किए गए हैं उस पर वह किसी बात से या फिर दोज़ियों पर कार्रवाई से अथवा भविज़्य में ऐसा न होने देने का भरोसा दिलाकर लीपापोती नहीं कर पाएंगे। भर्ती घोटालों का कोई प्रायष्ठिचत नहीं हो सकता है। पाप के इस दाग को किसी भी डिटर्जेंट पाउडर से साफ नहीं किया जा सकता है। इन घोटालों में जिन लोगों की भी संलिप्तता रही है पार्टी जब तक उन्हें निकाल कर बाहर नहीं करेगी भाजपा की मुष्ठिकलें समाप्त नहीं हो सकती है। भले ही इनकी संख्या कितनी भी ज्यादा सही और इनमें कई बड़े नेताओं के नाम हो लेकिन इनकी सीबीआई जांच और उनके खिलाफ अनुष्ठाासन का हंटर चलाये बिना भाजपा की कोई बात नहीं बनेगी। देखना यह है कि भाजपा और धामी सरकार इतना साहस दिखाने में कितना समय लगाते हैं।