मानव समाज और मनुष्य को अन्य जीव धारियों से अलग इसलिए माना जाता है क्योंकि उसके पास जो बुद्धि और विवेक होता है वह अन्य किसी जीव के पास नहीं होता। किंतु बुद्धि अगर अविवेक कारी हो जाए तो उससे अधिक विनाशकारी भी कुछ नहीं होता है। विवेकशील बुद्धि के बल पर आदमी जहां बड़ी से बड़ी मुसीबत का सामना आसानी से कर लेता है वही अविवेकी बुद्धि मनुष्य को ऐसी बड़ी मुसीबतों में भी फंसा देती है जहां सिर्फ विनाश ही विनाश होता है और विकास के सभी दरवाजे बंद हो जाते हैं। ट्टविनाश काले विपरीत बुद्धि’ की कहावत या फिर रामचरितमानस में बाबा तुलसीदास का यह उल्लेख ट्टजाको प्रभु दारुन दुख देही ताकि मति पहले हर लेही’ का भावार्थ भी यही है। कल राजधानी दून के निकटवर्ती क्षेत्र रानीपोखरी में जो दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई जिसमें एक व्यक्ति ने अपने पांच परिजनों की बेरहमी से हत्या कर दी वह अविवेकी बुद्धि या विकृत बुद्धि के नतीजों की ही मिसाल है। अभी बीते कुछ वर्ष पूर्व देश की राजधानी दिल्ली के बुराड़ी इलाके में एक ही परिवार के 5 लोगों ने सामूहिक रूप से आत्महत्या कर ली थी। ऐसी एक अन्य घटना 2014 में देहरादून में भी सामने आई थी जिसमें एक बेटे ने अपने पिता, सौतेली मां और बहन तथा भांजी की हत्या कर दी थी। इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने वाले लोग किसी न किसी तरह की मनोविकृति के शिकार ही होते हैं सामान्य व्यक्ति द्वारा इस तरह के अपराध नहीं किए जा सकते हैं यह एक ऐसा सत्य है जिससे इनकार नहीं किया जा सकता है। मनोविज्ञानी भी इस बात को मानते हैं। हमारे समाज में और हमारे आसपास अनेक ऐसे लोग भरे पड़े हैं जो मानसिक रोग या विकृति का शिकार है जिन्हें समझ पाना बहुत मुश्किल ही नहीं होता है कई बार असंभव भी होता है। ऐसे लोगों से हमेशा सतर्क रहने की जरूरत है। ऐसे लोग जो अपना सब कुछ पल भर में मिटा सकते हैं वह दूसरों को भी कितना भी बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं। समाज में हमारे आसपास जो कुछ भी घटित होता है उसे हमें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अकर्मठ और अंधविश्वासी लोगों से तो खास तौर पर सतर्क रहने की जरूरत होती है। ऐसे निठल्ले लोग जो कुछ नहीं करते ऐसे अंधविश्वासी जो तंत्र—मंत्र के सहारे हर समस्या का समाधान चाहते हैं और किसी चमत्कार की उम्मीद लेकर अपनी सोच में एक काल्पनिक जीवन की रूपरेखा तैयार कर लेते हैं वह स्वयं के लिए ही नहीं अपने समाज के लिए भी हमेशा बड़ा खतरा रहे हैं। बात चाहे बुराड़ी (दिल्ली) में की गई सामूहिक आत्महत्याओं की हो या फिर बीते कल रानीपोखरी में हुए सामूहिक नरसंहार की इन घटनाओं के पीछे तंत्र मंत्र और अंधविश्वास के जरिए गढ़ी जाने वाली काल्पनिक जीवन कथाओं के सिवाय कुछ नहीं है। समाज के हर व्यक्ति के लिए ऐसी घटनाएं एक सबक है कि कैसे हमें इन तरह की विकृतियों से दूर रहना और सतर्क रहना है। ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वालों को अव्वल तो अपने बुरे कृत्यों का एहसास होता ही नहीं है और अगर हो भी जाता है तो उनके पास पछतावे के सिवा कुछ भी शेष नहीं बचता है।