नई दिल्ली। तुर्की और सीरिया में सोमवार को आए विनाशकारी भूकंप में मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। जानकारी के मुताबिक अब तक 21 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। तुर्की में 17 हजार से ज्यादा लोगों के मारे जाने का अनुमान है। वहीं, सीरिया में अब तक 3 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इस हादसे में 70,347 लोग घायल हुए हैं। डब्लूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस सीरिया के लिए रवाना हो गए हैं। टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने ट्वीट किया, “मैं सीरिया जा रहा हूं, जहां डब्ल्यूएचओ आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करा रहा है।” 72 घंटे बाद उसे जिंदा बाहर निकाला गया। हालांकि, मलबे में महिला के साथ गए तीन लोगों की मौत हो गई। अंतक्या में ही एक महिला सर्प अर्सलान नम आंखों से उस इमारत के मलबे को देख रही थी, जहां उसकी मां और भाई दबे हुए थे। यहां से भारी मात्रा में मलबा हटाने का काम अब शुरू हो गया है। इस बीच, संयुक्त राष्ट्र सहायता ट्रक गुरुवार सुबह विद्रोहियों के कब्जे वाले उत्तर-पश्चिम सीरिया में पहुंचे। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि ऑपरेशन दोस्त के तहत भूकंप राहत प्रयासों के लिए बचाव कर्मियों, आवश्यक आपूर्ति और चिकित्सा उपकरणों को लेकर भारत का छठा विमान तुर्की पहुंच गया है। इसमें और राहतकर्मी, डॉग स्क्वॉड और जरूरी दवाएं भूकंप प्रभावित देश में भेजी गई हैं। अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर, विदेश मंत्रालय ने तुर्की में चल रहे एक मोबाइल अस्पताल की तस्वीरें भी पोस्ट कीं, जहां चिकित्सा विशेषज्ञ आपात स्थिति में लोगों का इलाज कर रहे हैं। उधर, भूकंप प्रभावित तुर्की में राहत और बचाव कार्य में लगी भारत की एनडीआरएफ की टीम ने गाजियांटेप में मलबे के नीचे से छह साल की बच्ची को जिंदा बचा लिया। सरकार के धीमे बचाव और राहत प्रयासों के लिए राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन को आलोचना का सामना करना पड़ा है। आक्रोशित लोग सरकार से पूछ रहे हैं कि पिछले ढाई दशक से भूकंप के नाम पर जो टैक्स वसूला जाता था, वह कहां है? इस आपदा की घड़ी में उस राशि का उपयोग क्यों नहीं किया गया इसका हिसाब दीजिए। आपको बता दें कि तुर्की में भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के नाम पर सरकार ‘विशेष संचार कर’ वसूलती है।