मुख्य सचिव को दिए गाइडलाइन तैयार करने के निर्देश
सुस्त पड़ती जा रही है अतिक्रमण अभियान की रफ्तार
देहरादून। अतिक्रमण हटाने में अति तेजी दिखाने वाली सरकार के तेवर अब कुछ नरम पड़ते दिख रहे हैं और लैंड जेहाद के खिलाफ बुलडोजर की कार्यवाही अब धीमी पड़ती जा रही है अंतिम अतिक्रमण हटाए जाने तक कार्यवाही जारी रहने की बात करने वाले सीएम धामी अब कह रहे हैं कि उनका मकसद किसी को परेशान करने का नहीं है। उन्होंने मुख्य सचिव को इस अतिक्रमण को लेकर स्पष्ट गाइडलाइन तैयार करने के निर्देश भी दिए हैं।
यहां यह उल्लेखनीय है कि सीएम धामी द्वारा सभी जिलाधिकारियों को अपने क्षेत्रों में अवैध रूप से बनाई गई धार्मिक संरचनाओं को चिन्हित करने और हटाने के आदेश दिए गए थे जिसके तहत 5 मंदिरों सहित लगभग 350 संरचनाओं को हटाकर 400 हेक्टेयर भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया जा चुका है। लेकिन अब यह काम सुस्त पड़ चुका है। दरअसल जहां मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा सैकड़ों साल पुरानी मजारों को तोड़ने पर आपत्ति जताई जा रही है वहीं कुछ प्राचीन मंदिरों को तोड़े जाने और कुछ पर नोटिस चस्पा किए जाने के बाद साधु—संतों द्वारा भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया गया था। लेकिन मुख्यमंत्री ने दृढ़ता के साथ सभी तरह के अतिक्रमण चाहे वह किसी भी धर्म या संप्रदाय का क्यों न हो हटाने की बात कही जा रही थी। वही मुख्यमंत्री ने राज्य की सभी नदियों—नालों और खालो के किनारे अतिक्रमण के सफाए का भी ऐलान कर दिया था। जो एक असंभव सा कार्य है क्योंकि इसकी जद में राजधानी दून में बनी विधानसभा और दूरदर्शन केंद्र की इमारत तक आ रही है। वहीं जिन स्थानों पर लोग 10—20 या 50 साल से अधिक समय से रह रहे हैं और इन क्षेत्रों में घनी आबादी है उस अतिक्रमण को हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी हटा पाना संभव नहीं हुआ है उसे हटाना सिर्फ चुनौतीपूर्ण ही नहीं असंभव सा काम है। बात अगर दून की ही की जाए तो एक चौथाई शहर अतिक्रमण से ही बसा है। शायद अब सीएम धामी की समझ में भी आ गया है कि वह गलत ट्रैक पर गाड़ी दौड़ा रहे हैं और गलत समय पर उन्होंने यह मुद्दा छेड़ा है।
अब मुख्यमंत्री का कहना है कि अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई के पीछे उनकी मंशा किसी को नुकसान पहुंचाना या परेशान करना नहीं है। उन्होंने राज्य में हो रहे डेमोक्रेटिक चेंज और राज्य की धर्म संस्कृति को बचाने के लिए धार्मिक अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई का अभियान चलाया है। उनका कहना है कि वह इस अभियान की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। तथा उन्होंने मुख्य सचिव को अतिक्रमण पर स्पष्ट गाइडलाइन बनाने के निर्देश भी दिए हैं। खैर देखना है कि अब आगे यह अभियान कितने समय जारी रहता है और कितना अतिक्रमण पाता है।