हाईकोर्ट से सरकार को मिली बड़ी राहत, कुछ प्रतिबंधों के साथ शुरू होगी यात्रा
देहरादून/ नैनीताल। चारधाम यात्रा को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट से राहत भरी खबर है। हाईकोर्ट ने कुछ प्रतिबंधों के साथ यात्रा शुरू करने की अनुमति दे दी है। जिससे चारधाम के पंडा—पुरोहितों, व्यापारियों और स्थानीय लोगों में खुशी की लहर है। हाईकोर्ट ने सरकार को श्रद्धालुओं के बाबत जरूरी आदेश दिए हैं वहीं धामों के कुंडों में स्नान करने पर प्रतिबंध रखा गया है।
महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर, मुख्य स्थाई अधिववक्ता सीएस रावत ने सरकार का पक्ष रखते हुए स्थानीय लोगों की आजीविका, कोविड नियंत्रण में होने, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, एसओपी का कड़ाई से पालन आदि के आधार पर रोक हटाने की मांग की। कोर्ट ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की रिपोर्ट का भी जिक्र किया।
महाधिवक्ता का कहना था कि चारधाम यात्रा का अर्निंग पीरियड है। वहीं, कोविड के मामले इस समय कम होने पर विपक्षियों ने भी यात्रा की अनुमति देने की गुजारिश की। इसके बाद कोर्ट ने कोविड के नियमों का पालन करते हुए चारधाम यात्रा शुरू करने का आदेश जारी कर दिया। इस आदेश से राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है। साथ ही हजारों व्यवसायियों व तीर्थ पुरोहितों समेत उत्तरकाशी, चमोली व रुद्रप्रयाग जिले के निवासियों की आजीविका पटरी पर लौटने की उम्मीद जगी है। चीफ जस्टिस आरएस चौहान और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की बेंच ने सरकार के शपथपत्र पर सुनवाई करते बड़ी राहत दे दी।
हालांकि नैनीताल हाईकोर्ट ने चारों धाम में सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति दी है। उत्तराखण्ड की लाइफ लाइन चारधाम यात्रा के शुरू होने से स्थानीय निवासियों की आर्थिकी को सहारा मिलने की उम्मीद है। उच्च न्यायालय ने श्रद्धालुओं के आवागमन को लेकर जरूरी निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही चारों धामों के किसी भी कुंड में स्नान नहीं करने को कहा है।
हाईकोर्ट ने केदारनाथ धाम में प्रतिदिन 800 श्रद्धालु, बद्रीनाथ धाम में 1200, गंगोत्री धाम में 600 तथा यमनोत्री धाम में 400 श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति मिलेगी। न्यायालय के निर्देशानुसार कोविड नेगेटिव रिपोर्ट और दोनों वैक्सीन का सर्टिफिकेट अनिवार्य किया है। चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में होने वाली चारधाम यात्रा के दौरान पुलिस फोर्स की तैनाती के निर्देश भी दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि लंबे समय से बन्द चारधाम यात्रा को शुरू करने के मुद्दे पर स्थानीय जनता व विपक्षी दल कांग्रेस लगातार सरकार पर दबाव बनाए हुए थे। इस मुद्दे पर हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई के बाद आये फैसले से श्रद्धालुओं व यात्रा से जुड़े विभिन्न वर्गों में खुशी का माहौल है। ज्ञात हो कि हाईकोर्ट ने 26 जून को कोरोना संक्रमण के खतरे और राज्य सरकारी की आधी—अधूरी तैयारियों के चलते चारधाम यात्रा पर रोक लगा दी थी जिसके बाद जुलाई में धामी सरकार चार हफ्ते की हाईकोर्ट स्टे के खिलाफ एसएलपी लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी। लेकिन जुलाई—अगस्त दो माह बीत जाने के बाद भी सरकारी वकील मामले की लिस्टिंग तक नहीं करा पाए।
इधर स्थानीय कारोबारियों, तीर्थ—पुरोहितों और विपक्ष की घेराबंदी से धामी सरकार बैकफुट पर आ चुकी थी। लिहाजा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापिस लेकर दोबारा 10 सितंबर को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जहां से सरकार को राहत मिल गई।