बिना पहचान पत्र के 2,000 के नोट बदलने का मामला पहुंचा हाई कोर्ट

0
258


नई दिल्ली। 2,000 के नोट क्रमिक रूप से बंद करने का मामला अब दिल्ली हाई कोर्ट तक पहुंच चुका है। याचिका में बिना आईडी प्रूफ के नोट बदलने की भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय स्टेट बैंक की अधिसूचनाओं को चुनौती दी है। कोर्ट में दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि बिना किसी मांग पर्ची और पहचान प्रमाण के दो हजार के नोटों को बदलने की अनुमति देना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। यह याचिका बीजेपी नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने याचिका दायर की। साथ ही आरबीआई और एसबीआई को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की मांग की कि 2,000 रुपये के बैंकनोट संबंधित बैंक खातों में ही जमा किए जाएं, ताकि कोई भी दूसरों के बैंक खातों और काले धन वाले लोगों में पैसा जमा न कर सके। आय से अधिक संपत्ति की आसानी से पहचान की जा सकती है। याचिका में यह भी कहा गया है कि वर्तमान में, भारत की कुल जनसंख्या 142 करोड़ है। परिवारों की कुल संख्या 30 करोड़ है। 130 करोड़ भारतीयों के पास आधार कार्ड है। यानी हर परिवार के पास 3-4 आधार कार्ड हैं। इसी तरह कुल खातों की संख्या 225 करोड़ है और उसमें से 48 करोड़ बीपीएल परिवारों के जनधन खाते हैं। इसका मतलब है कि हर परिवार के पास एक बैंक खाता है। हाल ही में केंद्र द्वारा घोषणा की गई थी कि हर परिवार के पास आधार कार्ड और बैंक खाता है। इसलिए, भारतीय रिजर्व बैंक को पहचान प्रमाण प्राप्त किए बिना 2,000 के नोट बदलने की अनुमति क्यों दी गई है? यहां यह बताना भी जरूरी है कि 80 करोड़ बीपीएल परिवारों को मुफ्त अनाज मिलता है। इसका मतलब है कि 80 करोड़ भारतीय शायद ही कभी 2,000 रुपए के नोट का इस्तेमाल करते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here