बुजुर्ग के अपहरण व हत्या का खुलासा दो गिरफ्तार, एक फरार

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देहरादून। अगस्त माह में हुए बुजुर्ग के अपहरण व हत्या का खुलासा करते हुए पुलिस ने दो हत्यारोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। हत्यारों को एक साथी फरार है जिसकी तलाश की जा रही है। हत्या बुजुर्ग से उधार लिए गये लाखों रूपये वापस न कर पाने व उसके प्लाट कब्जाने की नियत से की गयी थी।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जन्मेजय खण्डूरी ने बताया कि बीते अगस्त माह में पारेश्वर प्रसाद शर्मा पुत्र स्व. सतेश्वर प्रसाद शर्मा निवासी जीवनवाला द्वारा कोतवाली डोईवाला में तहरीर देकर बताया गया था कि 30 अगस्त की शाम मेरे चाचा सुभाष चन्द्र शर्मा रोज की तरह घूमने गये थे। जब वह देर रात तक वापस नहीं पहुंचे तो उनकी तलाश की गयी, परंतु उनका कहीं पता नहीं चल सका। जबकि उनका मोबाइल नम्बर भी स्विच ऑफ आ रहा है। पुलिस ने तहरीर के आधार पर गुमशुदगी दर्ज कर बुर्जुग की तलाश शुरू कर दी। दौराने विवेचना अपहरण का सन्देह होने पर पुलिस ने 11 सितम्बर को बुर्जुग के अपहरण का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी। जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि 30 अगस्त की शाम गुमशुदा सुभाष चन्द्र शर्मा पुत्र स्व. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा अपने दोस्त विजय जोशी पुत्र स्व. दर्शन लाल जोशी निवासी जीवनवाला के घर गये थे। यह भी पता चला कि गुमशुदा सुभाष चन्द्र शर्मा के जोशी घर में पहुचने से पहले ही जोशी के घर पर दो अज्ञात व्यक्ति एक मोटर साईकिल से आये तथा काफी समय तक ये लोग विजय जोशी के घर पर ही रहे तथा गुमशुदा भी इनके साथ ही विजय जोशी के घर पर रहा।

दौराने विवेचना पाया गया कि विजय जोशी गुमशुदा सुभाष चन्द्र शर्मा का काफी पुराना दोस्त था तथा वह सुभाष चन्द्र के सारे व्यक्तिगत व जमीन सम्बन्धी काम किया करता था तथा सुभाष चन्द्र शर्मा का विजय जोशी के उपर चार—पांच लाख रुपये का उधार भी था जिसे सुभाष चन्द्र शर्मा वापस मांग रहा था लेकिन विजय जोशी अपनी आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उधार वापिस नही दे पा रहा था। पुलिस को यह भी जानकारी मिली कि विजय जोशी प्रापर्टी डीलिंग व ठेकेदारी का काम भी करता है। इसके अतिरिक्त सुभाष चन्द्र शर्मा ने बलविन्दर सिह पुत्र कपूर सिंह निवासी जीवनवाला से एक प्लाट का सौदा 26 लाख रुपये में किया था जो कि विजय जोशी के जरिये हुआ था, इस प्लाट का एग्रीमेन्ट विजय जोशी ने चालाकी से अपने नाम कर दिया था। वर्तमान समय में इस प्लाट की कीमत लगभग एक करोड रुपये है। विवेचना को दौरान यह भी पाया गया कि सुभाष चन्द्र शर्मा अविवाहित था तथा वह विजय जोशी की पत्नी पर गलत नीयत रखता था। सुभाष चन्द्र शर्मा जब उक्त प्लाट को अपने नाम करवाने के लिये विजय जोशी पर दबाव बनाने लगा तो उसकी नियत डोल गयी और उसने सुभाष चंद्र शर्मा की हत्या की ठान ली। और उसने इस काम के लिए सतपाल पुत्र धनी राम निवासी खैरीकला नेपाली फार्म व वीरेन्द्र उर्फ रविन्द्र पुत्र स्व. छोटन निवासी ग्राम खैरीकला से सम्पर्क किया और दोनो को 5—5 लाख रुपये का लालच देकर सुभाष चन्द्र शर्मा की हत्या करने की योजना बनायी। 30 अगस्त को जन्माष्टमी के दिन विजय जोशी ने सतपाल व वीरेन्द्र के साथ मिलकर सुभाष चन्द्र जोशी की हत्या कर दी तथा उसी रात शव को सौंग नदी में फेक दिया। पुलिस ने विजय जोशी की निशानदेही पर मृतक सुभाष चन्द्र शर्मा के घटना के दिन पहने कपडो को बरामद किया गया तथा आरोपी विरेन्द्र उर्फ रविन्द्र से मृतक की दो पास बुक व दो चैक बुक बरामद की गयी। इस पर पुलिस ने विजय जोशी व वीरेन्द्र उर्फ रविन्द्र को गिरफ्तार किया गया। हत्या में शामिल आरोपी सतपाल फरार है जिसकी तलाश की जा रही है।

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