- हर संसदीय सीट से 6000 लोग जाएंगे अयोध्या
- 25 मार्च तक चलेगा, मुफ्त यात्रा का कार्यक्रम
देहरादून। अयोध्या राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न होते ही अब भाजपा नेता अपने अगले मिशन पर निकल पड़े हैं। उनका यह अगला मिशन है रामलला दर्शन मिशन, जो 25 जनवरी से शुरू होकर 25 मार्च यानी दो माह तक चलेगा। उत्तराखंड की सभी पांच संसदीय सीटों में से 30000 लोगों को भाजपा नेता अयोध्या ले जाकर रामलला के दर्शन कराएंगे यानी हर संसदीय क्षेत्र से 6000 लोगों को दर्शन कराने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि अभी कहा यही जा रहा है कि बीजेपी इन तीर्थ यात्रियों के लिए आने—जाने के लिए सिर्फ स्पेशल ट्रेन और बसों की ही व्यवस्था करेगी उनको खान—पान की व्यवस्था खुद ही करनी होगी लेकिन इसमें खाना भी मुफ्त मिल सकता है।क यूपी के सीएम तो प्राण प्रतिष्ठा से पहले ही यह कह चुके हैं।
इस तरह की योजनाएं भले ही कोई नई सोच न सही पहले ट्टमेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ, जैसी योजनाएं पेश की जा चुकी है। दिल्ली के सीएम केजरीवाल दिल्ली के लोगों को मुफ्त तीर्थ यात्राएं करा चुके हैं। लेकिन इन मुफ्त की रेवड़ियो की राजनीति से बचकर रहने की नसीहत देने वाले भी इस दौड़ में सबसे आगे निकलने की तैयारी में है। अयोध्या में भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान मंदिर निर्माण को लेकर देश व समाज को जोड़ने की जोरदार शुरुआत की बातें और अन्य तमाम बड़े दावे किए जाना और अब राम लला दर्शन का मुफ्त अभियान चलाया जाना इस बात को प्रमाणित जरूर करता है कि इस मुद्दे पर राजनीति से ऊपर उठकर शायद कभी नहीं सोचा जा सकता है। राम मंदिर के जो गहरे राजनीतिक सरोकार हैं उनका मोह छोड़ पाना संभव नहीं है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद कई लोगों की यह सोच जरूर रही कि अब यह कोई राजनीति का मुद्दा नहीं रहेगा लेकिन 22 जनवरी को देश भर में मनाए गए उत्सव और जन भावनाओं के सैलाब को देखकर नेताओं का दिल बाग—बाग जरूर है और उन्हें यह लगने लगा है कि 2024 में विजय पताका फहराने के लिए भगवा से बेहतर कोई दूसरा रंग हो ही नहीं सकता है। इस अवधारणा को मजबूत करने में 23 जनवरी को अयोध्या में उमड़ी राम भक्तों की भीड़ ने भी अहम भूमिका निभाई है।
कल अयोध्या में देश के कोने—कोने से जिस तरह श्रद्धा का सैलाब उमड़ा उसे संभाल पाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बनता दिखा। क्षमता से 10 गुना ज्यादा लोगों के एक ही दिन अयोध्या पहुंचने से व्यवस्थाएं तो तार—तार होनी ही थी। एक तरफ प्रशासन आम लोगों से अभी अयोध्या न आने की अपील कर रहा है वहीं दूसरी ओर भाजपा नेता देश के कोने—कोने से लोगों को अधिक से अधिक संख्या में अयोध्या ले जाने के बंदोबस्त में जुटे हुए हैं।
इस भीड़ को संभालना कोई आसान काम नहीं है क्योंकि भीड़ का कोई तंत्र नहीं होता है वह तो लकीर पर चलने वाली होती है। सवाल यह है कि इस भीड़ के कारण अगर कोई अनहोनी घटना पेश आती है तो उसके लिए जिम्मेदार कौन होगा। रही जनता की बात तो उसे तो अब सिर्फ मुफ्त की रेवड़ियों का चस्का लग चुका है जहां से भी जो कुछ मिल जाए उसे और अधिक से अधिक समेटने को जनता खड़ी है। अब तो वैसे भी चुनावी दौर सामने खड़ा है इसलिए कुछ लेने के लिए किसी के पीछे दौड़ने की जरूरत नहीं है देने वाले खुद आपके दरवाजे पर देने के लिए चलकर आने वाले हैं।