कांग्रेस में नेता विपक्ष पर सिर फुटव्वल शुरू
देहरादून। चुनाव परिणाम आने के बाद भाजपा जहां मुख्यमंत्री के चयन में उलझी हुई है वही कांग्रेस में भी नेता विपक्ष की जंग शुरू हो चुकी है।
यह सच है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की हार के बाद भाजपा 47 सीटें जीतने के बाद भी उलझ गई है। स्थिति एक अनार सौ बीमार वाली है जो 47 विधायक चुनकर आए हैं उनमें अगर वरिष्ठता को प्राथमिकता दी जाए तो कई विधायक ऐसे हैं जो तीन और चार बार चुनाव जीत चुके हैं। चुनाव में क्षेत्रीय और जातीय संतुलन भी एक पैमाना है तथा विधायकों की उम्र और उनका तजुर्बा भी। अभी तक राज्य में कोई अल्पसंख्यक, पिछड़ा या महिला मुख्यमंत्री नहीं रहा है। प्राथमिकताएं अनेक हैं संभावनाएं भी अनेक हैं और दावेदार की तो जैसे भरमार है। इसलिए भाजपा के लिए मुख्यमंत्री पर फैसला कर पाना मुश्किल हो रहा है। ऐसा सर्वमान्य, कर्मठ और ईमानदार चेहरा जिसके चयन पर भाजपा में कोई क्लेश न हो, को ढूंढ पाना आसान नहीं है। यही कारण है कि विकल्प तमाम है लेकिन सबसे बेहतरीन कौन है यह सवाल सबसे अहम हो गया है। फैसला 22 से पहले करना है यह भी तय है क्योंकि 23 मार्च को सरकार गठन की अंतिम तिथि है। देखना है अब हाईकमान क्या फैसला लेता है।
उधर कांग्रेस की स्थिति भी अजीबोगरीब है जब तक सरकार बनने की संभावनाएं थी तब तक भावी सीएम पर सर फुटव्वल हो रहा था अब जब कांग्रेस 19 पर सिमट गई तो नेता विपक्ष पर खींचतान शुरू हो गई। हरीश रावत समर्थक अब प्रीतम सिंह से यह पद भी झटकने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। कई नेता इस जुगाड़ में है कि उन्हें नेता विपक्ष बनाया जाए, वह धमकियंा दे रहे हैं। सवाल यह है कि न हार का मलाल है न पार्टी की स्थिति पर अफसोस बस कुर्ता घसीटन जारी है।