आर्य की वापसी से पलटी बाजी

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क्या यशपाल आर्य और उनके विधायक बेटे को कांग्रेस में वापस लाकर कांग्रेस ने सूबे की सियासत की बाजी पलट दी है? यह सवाल दल—बदल के इस दौर में इसलिए अहम हो गया है क्योंकि आर्य की वापसी के बाद भाजपाई खेमा तो असहज देखा ही जा रहा है साथ ही कांग्रेस में इस मुद्दे पर बहस छिड़ी हुई है कि किसे वापस लेना है और किसे नहीं आने देना है। कांग्रेस के नेता इस मुद्दे पर सिर्फ बयान बाजी ही नहीं कर रहे हैं बल्कि उनकी हाई लेवल बैठकों में इस विषय पर मंथन किया जा रहा है। जो कांग्रेसियों के इस दावे की पुष्टि करता है कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने वाले कई नेता मंत्री और विधायक अब कांग्रेस में वापस आने के इच्छुक है। अगर सच यही है तो भाजपा का चिंतित होना स्वाभाविक है। क्योंकि भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में 70 में से 57 सीट जीतकर इतिहास रचने का जो काम किया था उसमें इन पूर्व कांग्रेसी नेताओं की भूमिका ही अहम रही थी। कांग्रेस में इन पूर्व कांग्रेसियों की वापसी के मुद्दे पर भी हालांकि मतभेद कम नहीं है और यह मतभेद बेवजह भी नहीं कहे जा सकते हैं। इस सत्य को सभी जानते हैं कि इनमें से अधिकांश नेता भरोसे के काबिल नहीं है उनके लिए सत्ता स्वार्थ ही सर्वाेपरि हैं। 2016 में उन्होंने इस बात की परवाह न करते हुए कि कांग्रेस पार्टी जिसने उन्हें यह सब कुछ दिया उसका क्या होगा? अपने सत्ता स्वार्थों के लिए उन्होने अपनी ही सरकार को गिराने और भाजपा के साथ सरकार बनाने और सीएम बनने की कोशिश की थी। कांग्रेस अगर 2022 के चुनाव से पूर्व सिर्फ यह सोच कर कि उसे भाजपा को किसी भी तरह सत्ता से हटाना है तो इन सभी पूर्व कांग्रेसियों की आंख बंद करके वापसी कर लेती है तो इस बात की क्या गारंटी है कि वह फिर एक बार ऐसा नहीं कर सकते है? कांग्रेस के कुछ नेताओं को भले ही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की बात अच्छी न लग रही हो कि 2016 में लोकतंत्र की हत्या का प्रयास करने वाले महा पापियों की कांग्रेस में तभी वापसी हो सकती है जब वह सार्वजनिक रूप से माफी मांगे। हालांकि हरीश रावत भी इस मुद्दे पर अपनी कोई स्पष्ट राय नहीं रखते हैं कभी वह 2016 की घटना के षड्यंत्रकारियों को वापस न लेने की बात करते हैं तो कभी भ्रष्टाचारी दागियों को वापस न लेने की बात करते हैं। हालांकि राजनीति में सभी अपनी कमीज को दूसरे से साफ बताते हैं व दूसरे की कमीज को गंदा बताते हैं लेकिन फिर भी सबके लिए उनके दरवाजे न हमेशा के लिए बंद होते हैं न ही खुलते हैं। चुनाव से पूर्व कितने पूर्व कांग्रेसी फिर कांग्रेस में आते हैं और कितने नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन यह जरूर है कि अभी कुछ पूर्व कांग्रेसी फिर कांग्रेस का हाथ जरूर थाम सकते हैं। और एक बार फिर कांग्रेस भाजपा को करारी टक्कर देने में सफल हो सकती है और यह बाजी आर्य की वापसी से ही पलटी है।

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