कांग्रेस के सभी सांसदों को इस्तीफा दे देना चाहिए: आचार्य प्रमोद कृष्णम

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नई दिल्ली। कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राहुल गांधी को सजा के मामले को पूरी तरह राजनीतिक बताया है। उन्होंने कहा जिस सदन में राहुल गांधी न हों, वहां जाकर क्या करना। कांग्रेस के सभी सांसदों को इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस बड़ी पार्टी है। कांग्रेस को सड़क पर लड़ने की तैयारी करनी चाहिए। प्रमोद कृष्णम ने कहा, ‘मैं कांग्रेस के सभी सांसद सदस्यों से अपील करना चाहता हूं, जो राहुल, प्रियंका और कांग्रेस के लिए बलिदान देने की बात करते थे। उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। जिस संसद में राहुल गांधी नहीं जाएंगे, आप जाकर क्या करेंगे। यही वक्त है आपकी निष्ठा लॉयल्टी सिद्ध करने का। सब को इस्तीफा देकर सड़क पर आना चाहिए। नगर-नगर, गांव-गांव, शहर-शहर, गली-गली मोर्चा खोल देना चाहिए. अब संसद में जाकर बोलने का वक्त गया, अब तो सड़क पर लड़ना पड़ेगा। वरना इस देश का लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। आचार्य प्रमोद कृष्णन ने कहा कि राहुल गांधी को सजा बदले की भावना, पॉलिटिकल रिवेंज, गांधी परिवार को मिटाने की कोशिश है. पूरे विपक्ष को बर्बाद करने, डिमोलिश करने, बुलडोज करने की कोशिश है. लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा है। आचार्य प्रमोद ने राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता जाने को लोकतंत्र के लिए काला अध्याय बताया। उन्होंने कहा, ‘राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म होने पर राहुल गांधी खत्म नहीं होंगे, न उनकी सियासत खत्म होगी, न कांग्रेस खत्म होगी। डर लोकतंत्र के खत्म होने का है. हमारी लड़ाई राहुल गांधी या कांग्रेस की निजी लड़ाई नहीं है हमारी लड़ाई जम्हूरियत, डेमोक्रेसी, लोकतंत्र को बचाने की है। राहुल गांधी ने भाषण दिया कर्नाटक में, मुकदमा दर्ज हुआ गुजरात में, वह भी बीजेपी नेता की तरफ से। फैसले के 24 घंटे के अंदर लोकसभा सचिवालय चिट्ठी जारी कर देता है। उत्तर प्रदेश में आजम खान और उनके बेटे के साथ भी यही हुआ। अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल को याद करते हुए आचार्य प्रमोद ने कहा, ‘अटल जी की बीजेपी और मोदी जी की बीजेपी में बड़ा फर्क है। अटल जी की बीजेपी जब सत्ता में थी तो विपक्ष को गद्दार नहीं कहा गया था। मीर जाफर नहीं कहा गया था। देशद्रोही नहीं कहा गया था। कांग्रेस ने करीब 60 साल राज किया, कभी बीजेपी के नेताओं को मीर जाफर, गद्दार या देशद्रोही नहीं कहा। ये जो मंजर है देश में, अदालत से बड़ी लड़ाई अब जनता की अदालत में लड़नी पड़ेगी।

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