आखिर कैसे सुधरेंगी यात्रा व्यवस्थाएं?

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  • धामों में श्रद्धालुओं का सैलाब, नहीं आई कमी
  • 12 दिन में 9 लाख से अधिक यात्री पहुंचे
  • मुश्किल में फंसे यात्री, जगह—जगह जाम
  • टूर ऑपरेटर्स की चेतावनी, सरेंडर करेंगे परमिट

देहरादून। यात्रा शुरू होने के साथ ही पटरी से उतरी व्यवस्थाओं को संभालने में राज्य का शासन—प्रशासन अपनी पूरी ताकत झौंक कर भी व्यवस्थाओं को सुधारने में नाकाम साबित हो रहा है। धामों में जिस तरह से श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है और भीड़ में किसी भी तरह की कमी होती नहीं दिख रही है उससे यह साफ हो गया है कि इस तरह से व्यवस्थाओं को दुरुस्त नहीं बनाया जा सकता।
अभी यात्रा को शुरू हुए 12—13 दिन ही हुए हैं इन दिनों में अब तक 9 लाख से अधिक यात्री चारों धामों में दर्शन कर चुके हैं। सबसे अधिक भीड़ केदारधाम में पहुंच रही है जहां हर रोज औसतन 30—32 हजार यात्री पहुंच रहे हैं। सभी धामों में वहां क्षमता से दोगुना यात्रियों के पहुंचने से तमाम जन सुविधाएं कम पड़ रही है। यात्रियों को पेयजल और भोजन व्यवस्था से लेकर शौच आदि की तमाम समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। भारी भीड़ के कारण यात्रा मार्गों पर जगह—जगह जाम की स्थिति पैदा हो रही है। केदार धाम के मुख्य पड़ाव सोनप्रयाग और रुद्रप्रयाग में श्रद्धालुओं को रोके जाने से भारी भीड़ जमा हो चुकी है जिसे नियंत्रित करने में पुलिस प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं। यमुनोत्री पैदल मार्ग पर पहाड़ से पत्थर गिरने से अब तक कई यात्री घायल हो चुके हैं।
अब तक 42 यात्रियों की अलग—अलग कारणों से मौत हो चुकी है। भीड़ को कम करने के लिए ऑफलाइन पंजीकरण पर रोक लगाने तथा यात्रियों को जगह—जगह रोके जाने से भी भीड़ का दबाव कम होता नहीं दिख रहा है। उधर हरिद्वार और ऋषिकेश में पंजीकरण रुक जाने से टूर ऑपरेटर एक सप्ताह से हजारों यात्रियों के साथ पंजीकरण शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस अव्यवस्था में फंसकर उनका व्यवसाय चौपट हो गया है। वह इतने परेशान हो चुके हैं कि अब उनके द्वारा आरटीओ में अपने परमिट सरेंडर करने की चेतावनी दी जा रही है। आर्थिक नुकसान के साथ यहां हो रही परेशानियों का उन्हें कोई समाधान होता नहीं दिख रहा है। उधर कुछ टूर ऑपरेटर्स के फर्जीवाड़े पकड़े जाने से भी यात्री परेशान है अब तक छह टूर ऑपरेटर्स के खिलाफ केस दर्ज किया जा चुका है। सरकार अब यात्रा के लिए अलग प्राधिकरण बनाने पर विचार कर रही है लेकिन वह इस साल तो अस्तित्व में नहीं आ सकता है।

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